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ऐसे 20 स्टॉक्स जिसमें ट्रेड लेकर निवेशक और ट्रेडर्स एक ही दिन कर सकते हैं दमदार कमाई
INTERGLOBE AVIATION यानी कि इंडिगो के स्टॉक पर आज एक एक्सपर्ट ने Red संकेत दिया है। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि देश में कोरोना को लेकर चिंता बढ़ी है। इसकी वजह शेयर में दबाव रहने की आशंका है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग शुरू की। इसकी वजह ये है कि भारत में BF.7 के 5 मामले मिले
- bse live
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सीधा सौदाः चीन में कोविड मामलों में तेजी आई। इससे ग्लोबल और भारतीय शेयर बाजार सहम गये। कल निफ्टी एक महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गया। निफ्टी 186 अंक की गिरावट के साथ 18,199 पर बंद हुआ। कल बाजार में आईटी और फार्मा को छोड़कर सभी सेक्टोरल इंडेक्स नीचे गिरकर बंद हुए। आज बाजारों का हाल कैसा रहेगा इस पर नजरें रहेंगी। कल बाजार की स्थिति का अध्ययन करने क बाद आज के लिए एक्सपर्ट्स ने निवेशकों को ट्रेडिंग के लिए 20 दमदार स्टॉक्स सुझाये हैं। सीएनबीसी-आवाज़ पर सीधा सौदा शो में दो कैप्टन द्वारा आज की ट्रेडिंग के लिए सुझाये गये स्टॉक्स में एक्शन देखने को मिलेगा। निवेशक और ट्रेडर्स चाहें तो अपनी समझ और विश्लेषण के साथ निवेश करके निवेशक और ट्रेडर्स अच्छी कमाई कर सकते हैं।
आशीष वर्मा की टीम
अजंता फार्मा में आज ब्लॉक डील संभव है। प्रोमोटर ग्रुप ब्लॉक डील के जरिए 4.56% हिस्सा बेचेंगे
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2) D-LINK INDIA (Red)
आशीष कचोलिया ने 242.56 के भाव पर 2.13 लाख शेयर बेचे हैं
3) MAX FINANCIAL SERVICES (Red)
Max Ventures Investment Holdings ने 58.85 लाख शेयर बेचे
4) RAMCO SYSTEMS (Green)
शेयर/वॉरंट के जरिए फंड जुटाने पर बोर्ड आज चर्चा करेगा
5) BOROSIL (Green)
जयपुर प्लांट का क्षमता विस्तार पूरा, ट्रायल उत्पादन शुरू हुआ। यहां पर 42 TPD ओपल वेयर ग्लास का उत्पादन होगा
6) BHARAT FORGE (Green)
कंपनी ने ग्रीन स्टील की सप्लाई शुरू की है, शेयर में तेजी संभव है
7) JMC PROJECTS (Green)
आज इसके शेयर में मोमेंटम नजर आ सकता है
8) ONGC (Green)
$82 के पार निकला ब्रेंट का भाव, शेयर में तेजी की उम्मीद है
9) ASIAN PAINTS (Red)
$82 के पार निकला ब्रेंट का भाव, शेयर में दबाव की आशंका है
10) RADICO KHAITAN (Green)
सुला वाइनयार्ड्स की लिस्टिंग आज, शेयर में तेजी की उम्मीद है
नीरज वाजपेयी की टीम
देश में कोरोना को लेकर चिंता बढ़ी। शेयर में दबाव की आशंका है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग शुरू की। भारत में BF.7 के 5 मामले मिले। चीन में BF.7 के मामले बढ़ रहे हैं
2- SPICEJET (Red)
देश में कोरोना को लेकर चिंता बढ़ी। शेयर में दबाव की आशंका है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग शुरू की। भारत में BF.7 के 5 मामले मिले। चीन में BF.7 के मामले बढ़ रहे हैं
3- PVR (Red)
देश में कोरोना को लेकर चिंता बढ़ी। शेयर में दबाव की आशंका है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग शुरू की। भारत में BF.7 के 5 मामले मिले। चीन में BF.7 के मामले बढ़ रहे हैं
4- LEMON TREE (Red)
देश में कोरोना को लेकर चिंता बढ़ी। शेयर में दबाव की आशंका है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग शुरू की। भारत में BF.7 के 5 मामले मिले। चीन में BF.7 के मामले बढ़ रहे हैं
5- APOLLO HOSPITAL (Green)
देश में कोरोना को लेकर चिंता बढ़ी। शेयर में दबाव की आशंका है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग शुरू की। भारत में BF.7 के 5 मामले मिले। चीन में BF.7 के मामले बढ़ रहे हैं
6-GLOBAL HEALTH (Green)
देश में कोरोना को लेकर चिंता बढ़ी। शेयर में दबाव की आशंका है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की रैंडम सैंपलिंग शुरू की। भारत में BF.7 के 5 मामले मिले। चीन में BF.7 के मामले बढ़ रहे हैं
7-ICICI BANK (Red)
कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच शेयर में दबाव की आशंका है। कंपनी के ADR में करीब 1% की गिरावट आई है
8-AXIS BANK (Red)
कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच शेयर में दबाव की आशंका है। कंपनी के ADR में करीब 1.5% की गिरावट आई है
9-TATA MOTORS (Red)
कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच शेयर में दबाव की आशंका है। कंपनी के ADR में करीब 2% की गिरावट आई है
10-TATA MOTORS DVR (Red)
कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच शेयर में दबाव की आशंका है। कंपनी के ADR में करीब 2% की गिरावट आई है
(डिस्क्लेमरः Moneycontrol.com पर दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और राय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें। )
पर्सनल फाइनेंस: म्यूचुअल फंड में रिटर्न पाने के मिलते हैं 2 दो तरह के निवेशक ऑप्शन, यहां जानें ग्रोथ और डिविडेंड में कौन-सा विकल्प आपके लिए रहेगा सही
अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो इससे पहले आपका इस दो तरह के निवेशक स्कीम के बारे में सही से जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि स्कीम में निवेश करने से पहले आपको तय कर लेना चाहिए कि स्कीम से फायदा पाने के लिए आपको कौन सा ऑप्शन चुनना है। निवेशकों को म्यूचुअल फंड में दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं। इनमें पहला है ग्रोथ और दूसरा है डिविडेंड पे आउट (डिविडेंड)। जहां ग्रोथ ऑप्शन में पैसा लगातार स्कीम में रहता है, वहीं डिविडेंड ऑप्शन में कंपनियां समय-समय पर लाभांश के रूप में फायदा बांटती रहती हैं। हम आपको इनके बारे में बता रहे हैं।
ग्रोथ ऑप्शन क्या है?
यह ऑप्शन चुनने का मतलब है कि आपकी स्कीम पर मिलने वाला डिविडेंड ( लाभांश) आपको नहीं मिलता। ये फायदा आपको तभी मिलेगा जब आप अपनी यूनिट्स रिडीम करते हैं। यानी उन्हें बेचते हैं। इसका फायदा यह है कि इस विकल्प में आपका निवेश बढ़ता रहता है।
इसे उदाहरण से समझें
उदाहरण के लिए अगर आपने 10 रुपए एनएवी की दर से म्यूचुअल फंड की 1000 यूनिट्स खरीदी है और आप इसे दो साल बाद 15 रुपए की एनएवी पर बेचते हैं तो 5 हजार रुपए इस निवेश पर आपका रिटर्न हुआ। यानी आपको 5000 रुपए का फायदा होगा।
किसे चुनना चाहिए ये ऑप्शन?
लंबी अवधि के लिए निवेश करने वालों के लिए ये ऑप्शन सही रहता है। क्योंकि इसमें रिटर्न पर बार-बार कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं देना पड़ता। इसके अलावा जब आप ग्रोथ ऑप्शन चुनते हैं तो बीच में पैसा न निकालने के कारण लंबी अवधि में रिटर्न बढ़ जाता है। इसमें निवेशक को कंपाउंडिंग का भी फायदा मिलता है। इसलिए यह विकल्प उन निवेशकों के लिए सही है, जिन्हें अपने निवेश पर नियमित आय नहीं चाहिए। जो निवेशक पैसे पर ज्यादा रिटर्न चाहते हैं उन्हें ग्रोथ ऑप्शन चुनना चाहिए।
डिविडेंड पे आउट ऑप्शन क्या है?
डिविडेंड ऑप्शन में निवेशक को दो तरह के निवेशक म्यूचुअल फंड हाउस समय-समय पर डिविडेंड का भुगतान करती है। ये फंड हाउस के ऊपर है कि वो अपने शेयरधारकों को कब और कितना फायदा देती है।
किसके लिए सही है ये विकल्प
यह विकल्प ऐसे निवेशकों के लिए सही है, जो छोटी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड की स्कीम में पैसा लगाना चाहते हैं। इसके अलावा जिन्हें नियमित आय दो तरह के निवेशक की जरूरत होती है उनके लिए ये ऑप्शन सही है। हालांकि इस स्कीम में आपके पैसे की वैल्यू ग्रोथ ऑप्शन की तुलना में कम बढ़ती है। क्योंकि इसमें आपको कंपाउंडिंग का फायदा उतना नहीं मिलता है, जितना ग्रोथ ऑप्शन चुनने पर मिलता है।
कब मिलता है डिविडेंड?
डिविडेंड तब दिया जाता है जब कंपनियों को फायदा होता है और वो अपने निवेशकों को अपना मुनाफा बांटना चाहती है। इसका कोई समय या नियम नहीं है कि कब और कितना दिया जाएगा। ये कंपनी के ऊपर है कि वो अपने शेयरधारकों को कब और कितना फायदा देती है।
डिविडेंड में मिलता है री-इन्वेस्ट का ऑप्शन
डिविडेंड में निवेशक को डिविडेंड री-इन्वेस्ट का ऑप्शन भी मिलता है। इसमें निवेशक को ग्रोथ और डिविडेंड दोनों का ही फायदा मिलता है। इसमें डिविडेंड की रकम निवेशक की जेब में नहीं जाती है। उसके बदले निवेशक को यूनिट्स आवंटित कर दी जाती है।
प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट में क्या अंतर है? कैसे होता है इसमें निवेश
प्राइमरी मार्केट में नए शेयर और बांड जारी किए जाते हैं, जबकि सेकेंडरी मार्केट में पहले से जारी शेयरों और बांडों की बिक्री और खरीद होती है.
यदि आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको पहले प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट के बीच के अंतर को समझना होगा . शेयर मार्केट के एक्सपर्ट आमतौर पर प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं . आपने भी प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट के बारे में अक्सर सुना होगा . क्या आप जानते हैं इनका क्या मतलब होता है और इनमें क्या अंतर है ? दरअसल शेयर मार्केट दो तरह के होते हैं – प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट . क्या आपको पता है कि दोनों मार्केट एक दूसरे से कैसे अलग हैं ?
प्राइमरी मार्केट
नई सिक्योरिटीज जैसे नए शेयर और बांड प्राइमरी मार्केट में जारी किए जाते हैं . प्राइमरी मार्केट में कंपनियां निवेशकों को शेयर बेचती हैं और पैसा जुटाती हैं . प्राइमरी मार्केट में सीधे कंपनी और निवेशकों के बीच लेनदेन होता है . ऐसे कई अलग – दो तरह के निवेशक अलग तरीके हैं जिनके माध्यम से एक कंपनी प्राइमरी मार्केट से पूंजी जुटा सकती है . इनमें पब्लिक इश्यू (IPO), प्राइवेट प्लेसमेंट और राइट्स इश्यू शामिल हैं .
जब कोई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज के जरिए अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर पहली बार निवेशकों से पैसा जुटाती है तो उसे ऐसा करने के लिए एक IPO लॉन्च करना पड़ता है . प्राइमरी मार्केट में निवेश करने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए जिसे ब्रोकरेज हाउस या बैंकों के साथ खोला जा सकता है . ऐसा ही एक प्लेटफॉर्म है 5 पैसा ( https://www.5paisa.com/open-demat-account ) जहां आप डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . इस प्रक्रिया के जरिए कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाती है . कंपनी का प्राइमरी मार्केट में प्रवेश ( एंटर ) करने का मुख्य मकसद पैसा जुटाना होता है . प्राइमरी मार्केट में निवेशक केवल शेयर खरीद सकते हैं बेच नहीं सकते . खरीदे गए शेयरों को बेचने के लिए उन्हें सेकेंडरी मार्केट में जाना पड़ता है .
सेकेंडरी मार्केट बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) जैसे स्टॉक एक्सचेंज सेकेंडरी मार्केट हैं , जहां आप IPO के दौरान खरीदे गए शेयरों को बेच सकते हैं . इस मार्केट में किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं . जब हम स्टॉक एक्सचेंज में शेयर खरीदते और बेचते हैं तब हम सेकेंडरी मार्केट में ट्रेडिंग कर रहे होते हैं . सेकेंडरी मार्केट में निवेशकों ( खरीदारों और विक्रेताओं ) के बीच पैसे और शेयरों का आदान – प्रदान ( एक्सचेंज ) किया जाता है . कंपनी सेकेंडरी मार्केट में होने वाले लेनदेन ( ट्रांजेक्शन ) में शामिल नहीं है . सेकेंडरी मार्केट को “ आफ्टर मार्केट ” भी कहा जाता है क्योंकि जो शेयर पहले ही जारी किए जा चुके हैं , उनका कारोबार यहां होता है .
ULIP में निवेश करना कितना फायदेमंद? इंश्योरेंस, इनवेस्टमेंट और टैक्स के लिहाज से क्या हैं इसकी खूबियां
यूलिप में निवेश का एक बड़ा फायदा यह है कि इक्विटी और डेट एसेट्स में निवेश के ज़रिए आप रटर्न जनरेट कर सकते हैं. लंबी अवधि के गोल्स के लिए यूलिप में निवेश करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है.
यूलिप को काफी पसंद किया जाता है क्योंकि इसमें एक साथ कई तरह के फायदे जुड़े हुए हैं.
ULIP : जब भी फाइनेंशिलय गोल्स की बात आती है, तो हम आमतौर पर ऐसी जगहों में निवेश करना चाहते हैं जहां ज्यादा फायदा हो. इस लिहाज से निवेशक यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) को काफी पसंद करते हैं क्योंकि इसमें एक साथ कई तरह के फायदे जुड़े हुए हैं. एक तरफ टर्म प्लान है जो एक लाइफ कवर प्रदान करता है. पॉलिसी अवधि के दौरान अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है तो इस स्थिति में लाभार्थी को इस प्लान के तहत एकमुश्त रकम दी जाती है. लेकिन इस प्लान में दो तरह के निवेशक किसी तरह का निवेश नहीं होता है. वहीं ULIP के तहत, आपको ना सिर्फ इंश्योरेंस कवर मिलता है, बल्कि आप निवेश भी कर सकते हैं. ULIP एक खास तरह का प्लान है, जिसमें दोहरा लाभ जुड़ा होता है. इसमें बीमा कंपनियां बीमा देने के साथ ही निवेशकों को निवेश का मौका भी देती है.
कैसे काम करता है यूलिप
इस प्लान के तहत निवेश के दो फायदे हैं. आपको टर्म इंश्योरेंस प्लान की तरह लाइफ कवर तो मिलता ही है, इसके अलावा आप निवेश भी कर पाते हैं. इसके तहत, प्रीमियम का एक हिस्सा लाइफ कवर के लिए और दूसरे हिस्से को डेट या इक्विटी एसेट्स में निवेश करके रिटर्न जनरेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जब कोई व्यक्ति यूलिप में निवेश करता है, तो उसे चयनित कवर अमाउंट के लिए एक फिक्स्ड प्रीमियम का भुगतान करना होता है. इस प्रीमियम का कुछ हिस्सा बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है, और शेष हिस्से को इक्विटी या डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश किया जाता है. इसमें निवेशकों के पास अपने इन्वेस्टमेंट प्लान के लिए इक्विटी, डेट और बैलेंस्ड ऑप्शन के बीच किसी एक को चुनने की फ्लेक्सिबिलिटी होती है. इसके अलावा, उनके पास प्रीमियम भुगतान के दौरान इन्वेस्टमेंट प्लान्स के बीच स्विच करने का ऑप्शन भी होता है. फंड मैनेजर फंड के प्रकार के अनुसार निवेश को मैनेज करते हैं और डेट या इक्विटी इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं. यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि IRDAI के अनुसार, ULIP के लिए लॉक-इन पीरियड 5 साल है और इससे कितना रिटर्न जनरेट होगा यह मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है.
LIC की जबरदस्त रिटर्न देने वाली 3 स्कीम, 1 लाख का निवेश बन गया 18.50 लाख, SIP करने वाले भी बने अमीर
एक निवेश में हैं तीन फायदे
इंश्योरेंस
यूलिप के प्रमुख फायदों में से एक जीवन बीमा कवर है जो यह प्रदान करता है. यूलिप में निवेश करके कोई भी अपने परिवार को भविष्य की अनिश्चितताओं से बचा सकता है. इसके ज़रिए यह सुनिश्चित होता है कि बीमित व्यक्ति की असामयिक मृत्यु के मामले में परिवार की अच्छी तरह से देखभाल की जाए.
इनवेस्टमेंट
यूलिप में निवेश का एक और बड़ा फायदा यह है कि इक्विटी और डेट एसेट्स में निवेश के ज़रिए आप रटर्न जनरेट कर सकते हैं. लंबी अवधि के गोल्स के लिए यूलिप में निवेश करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. आप अपनी जरूरत, जोखिम की क्षमता और निवेश की अवधि के अनुसार डेट, इक्विटी या बैलेंस विकल्प में से चुन सकते हैं. यूलिप प्लान पॉलिसीधारकों को इक्विटी, बॉन्ड और हाइब्रिड फंड जैसे कई फंड विकल्पों के बीच स्विच करने की अनुमति देते हैं. आप कभी भी ऐसा कर सकते हैं और इसमें कोई पैसा भी नहीं लगता है. पॉलिसीधारक मौजूदा परिस्थिति के आधार पर अलग-अलग यूलिप फंडों के बीच भविष्य के प्रीमियम अलॉट करना चुन सकते हैं. बाजार के उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने के लिए भविष्य के प्रीमियमों के आवंटन को इक्विटी से बॉन्ड या इसके विपरीत में भी बदल सकते हैं. समझदारी के साथ फंड चुनने पर, यूलिप आपको बाजार से पर्याप्त रिटर्न प्रदान कर सकता है बशर्ते आपको धैर्य रखते हुए लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए. इसके तहत आपको काफी फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है.
टैक्स बेनिफिट
यूलिप को म्यूचुअल फंड की तुलना में टैक्स-एफिशिएंट साधन माना जाता है क्योंकि इसके ज़रिए पॉलिसीधारक सभी चरणों में टैक्स की बचत कर सकते हैं. यूलिप में, बिना किसी खर्च के फंड के बीच स्विच करने की अनुमति है, जबकि म्यूचुअल फंड में, योजनाओं के बीच स्विच करने पर टैक्स देना पड़ता है. यूलिप में फंड स्विच करते समय टैक्स-बेनिफिट के अलावा, इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक टैक्स में छूट मिलती है. यूलिप की मैच्योरिटी रकम सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स-फ्री है. निवेशकों को बिना किसी अतिरिक्त लागत के डेट और इक्विटी के बीच स्विच करने की अनुमति देकर, यूलिप यह सुनिश्चित करते हैं कि एक निवेशक के रूप में आप एक बेहतर पोर्टफोलियो बना सकें. इससे जोखिम भी कम होता है.
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