Image Credit: Freepik

एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) क्या है | Asset Management Company

एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) – Asset Management Company (AMC) एक ऐसी कंपनी है जो अपने ग्राहकों के पूल किए गए फंडों को प्रतिभूतियों जैसे म्यूच्यूअल फण्ड(Mutual fund) , इक्विटी (equity) में निवेश करने में सहायता करती है जो घोषित वित्तीय उद्देश्यों से मेल खाते हो। एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) – Asset Management Company (AMC) निवेशकों को अधिक विविधता और निवेश विकल्प प्रदान करती हैं, जो उनके पास होते हैं। एएमसी (AMC) म्यूचुअल फंड (Mutual fund), हेज फंड (hedge fund) और पेंशन योजनाओं का प्रबंधन करते हैं, और ये कंपनियां अपने ग्राहकों को सेवा शुल्क या कमीशन चार्ज करके आय कमाती हैं।

Asset Management Company – AMC

BREAKING DOWN एसेट मैनेजमेंट कंपनी – ‘Asset Management Company – AMC

एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) – Asset Management Company (AMC) अपने ग्राहकों को विविधीकरण प्रदान करते हैं क्योंकि उनके पास व्यक्तिगत निवेशक अपने आप से अधिक पहुंचने के बजाय संसाधनों का एक बड़ा पूल(अलग अलग छेत्र में निवेश का तरीका ) है। एक साथ पूलिंग संपत्तियां और आनुपातिक रिटर्न का भुगतान करने से निवेशकों को हेज फंड कैसे काम करते हैं और कमाते हैं? कम से कम प्रतिभूतियों(Securities) को खरीदने के लिए आवश्यक न्यूनतम निवेश आवश्यकताओं से बचने की अनुमति मिलती है , साथ ही छोटे निवेश के साथ प्रतिभूतियों(Securities) के बड़े सेट में निवेश करने की क्षमता भी होती है। अर्थात निवेशक अपना इंवेस्टमनेट मिनिमम अमाउंट में भी सुरु कर के ज्यादा से ज्यादा प्रतिभूतिओ में निवेश कर सकता है |

एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asset Management Company – AMC) शुल्क

कुछ मामलों में, एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) – Asset Management Company (AMC) शुल्क अपने निवेशकों को शुल्क निर्धारित करते हैं। अन्य मामलों में, ये कंपनियां प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति का प्रतिशत लेती हैं। उदाहरण के लिए, यदि एएमसी $ 4 मिलियन के निवेश का ख्याल रखता है, और एएमसी 2% कमीशन शुल्क लेता है , तो उसके पास उस निवेश का 80,000 डॉलर है। यदि निवेश का मूल्य $ 5 मिलियन तक बढ़ जाता है, तो एएमसी का $ 100,000 का मालिक होता है, और यदि मूल्य गिरता है, तो एएमसी की हिस्सेदारी भी कम होती है। कुछ एएमसी फ्लैट सेवा शुल्क और प्रतिशत-आधारित फीस गठबंधन करते हैं।

एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asset Management Company – AMC) कैसे काम करते हैं?

आम तौर पर, एसेट मैनेजमेंट कंपनी ( Asset Management Company – AMC) को खरीद-पक्ष फर्म माना जाता है। यह केवल इस तथ्य को संदर्भित करता है कि वे अपने ग्राहकों को पैसा निवेश करने या प्रतिभूतियों को खरीदने में मदद करते हैं। वे निर्णय लेते हैं कि इन-हाउस रिसर्च और डेटा एनालिटिक्स के आधार पर क्या खरीदना है, लेकिन वे विक्रय-पक्ष फर्मों से भी सार्वजनिक सिफारिशें लेते हैं।
अगर सिम्पल सब्दो में समझा जाये तो एसेट मैनेजमेंट कंपनी ( Asset Management Company – AMC) अपने निवेशकों को एक पूल अकाउंट में निवेश का मौका देता है जिस से की वे काम रुपयों में भी कही अलग अलग निवेश प्रतिभूतिओ में निवेश कर सकते है साथ ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी ( Asset Management Company – AMC) के उच्चय रिसेर्च की बदौलत अच्छा रिटर्न भी प्राप्त करते है | AMC उन्हें खरीद और बिक्री का एक प्लेटफार्म देती है |

सेल-साइड फर्म (Sell-Side Firms) क्या हैं?

निवेश बैंकों और स्टॉक ब्रोकर्स जैसी सेल-साइड फर्म, इसके विपरीत, एएमसी और अन्य निवेशकों को निवेश सेवाएं बेचती हैं। वे रुझानों को देखते हुए और अनुमान बनाने के लिए बाजार विश्लेषण का एक बड़ा सौदा करते हैं। उनका उद्देश्य व्यापार आदेश उत्पन्न करना है जिस पर वे लेनदेन शुल्क ले सकते हैं।

Fiduciary AMCs और Brokerage Houses के बीच क्या अंतर है?

ब्रोकरेज हाउस लगभग सभी ग्राहक को स्वीकार करते हैं, बस उनके पास निवेश करने की राशि हो, और इन कंपनियों के पास उपयुक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए कानूनी मानक है। इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि ये कम्पनिया बुद्धिमानी से फंड का प्रबंधन करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं वे अपने ग्राहकों को पैसे कमाने के लिए का अच्छा मौका देते है । Brokerage Houses अपने ग्राहकों के फंडों को संपत्तियों की एक श्रृंखला में निवेश करती हैं, लेकिन वे एक उच्च कानूनी मानक के लिए आयोजित की जाती हैं। अनिवार्य रूप से, फिडियसियरी को अपने ग्राहकों के सर्वोत्तम हित में कार्य करना चाहिए। उनके पास न्यूनतम न्यूनतम निवेश सीमाएं होती हैं, और वे कमीशन की बजाय सेवा शुल्क लेते हैं। आम तौर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे अमीर परिवार फिडियसियरी का उपयोग करते हैं।

क्रिप्टोकरेंसीज में गिरावट के बीच आब्रिट्राज से मिला मुनाफा कमाने का मौका

दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether और इसके एक वर्जन के बीच प्राइस के अंतर से कुछ ट्रेडर्स मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहे हैं

क्रिप्टोकरेंसीज में गिरावट के बीच आब्रिट्राज से मिला मुनाफा कमाने का मौका

ट्रेडिंग का यह तरीका प्रत्येक व्यक्ति के लिए नहीं है

खास बातें

  • Ether और इसके एक वर्जन में प्राइस का अंतर मुनाफा कमाने का मौका दे रहा है
  • stETH को डीसेंट्रलाइज्ड ऐप Lido Finance ने लॉन्च किया था
  • आब्रिट्राज ट्रेडिंग में कई मार्केट्स और एक्सचेंजों के एक्सेस की जरूरत है

पिछले कुछ महीनों में क्रिप्टो मार्केट में बड़ी गिरावट हुई है. इससे एक ओर इनवेस्टर्स को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ है तो इसके साथ ही ट्रेडर्स को आब्रिट्राज से मुनाफा कमाने का मौका भी मिला है. मार्केट कैपिलाइजेशन के लिहाज से दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether और इसके एक वर्जन के बीच प्राइस के अंतर से कुछ ट्रेडर्स मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहे हैं.

Ethereum ब्लॉकचेन पर स्टेक्ड Ether से जुड़े इस वर्जन stETH के बड़े होल्डर्स में मुश्किलों का सामना कर रही क्रिप्टो लेंडिंग फर्म Celsius Network और हेज फंड Three Arrows Capital शामिल हैं. stETH को लगभग दो वर्ष पहले डीसेंट्रलाइज्ड ऐप Lido Finance ने लॉन्च किया था और इसके बाद से यह DeFi पर लेंडिंग और बॉरोइंग के लिए एक लोकप्रिय कोलेट्रल एसेट बन गया है. हालांकि, क्रिप्टो मार्केट में गिरावट से लिक्विडिटी पर असर पड़ने और Ether के प्राइस की तुलना में इसका डिस्काउंट बढ़ने से मार्केट से जुड़े लोग इसे लेकर सतर्क भी हो गए हैं.

क्रिप्टो डेटा फर्म Kaiko का कहना है कि Celsius Network के अपने लेंडिंग प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग को रोकने के फैसले का भी stETH पर असर पड़ा है. इसके अलावा Three Arrows Capital के इस टोकन की अपनी होल्डिंग का बड़ा हिस्सा बेचने से भी इसका प्राइस गिरा हेज फंड कैसे काम करते हैं और कमाते हैं? है. हालांकि, इसके बावजूद बहुत से ट्रेडर्स ने stETH में अपनी पोजिशन बढ़ाई है.

हाल के महीनों में क्रिप्टो मार्केट में गिरावट के बावजूद ट्रेडर्स का एक वर्ग गिरावट के इस दौर में भी मुनाफा कमा रहा है. यह वर्ग हेज फंड जैसे आब्रिट्राजर्स का है, जो विभिन्न देशों और एक्सचेंजों के बीच प्राइस में अंतर से मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं. ब्रिटेन की Nickel Digital Asset Management के को-फाउंडर और CEO Anatoly Crachilov ने बताया, "मई में मार्केट में बड़ी गिरावट आने पर हम 0.40 प्रतिशत फायदे में थे." आब्रिट्राज ट्रेडिंग में किसी एसेट को एक स्थान पर कम प्राइस में खरीदकर किसी अन्य स्थान पर अधिक प्राइस पर बेचा जाता है. इसमें एसेट की मात्रा में कोई बदलाव किए बिना प्राइस में अंतर का फायदा उठाया जाता है. ट्रेडिंग का यह तरीका निश्चित तौर पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए नहीं है. इसमें कई मार्केट्स और एक्सचेंजों के एक्सेस की जरूरत होती है और इसके साथ ही एल्गोरिद्म का इसमें बड़ा योगदान रहता है. इस वजह से हेज फंड्स जैसी फर्में ही इससे प्रॉफिट कमा सकती हैं.

Career After MBA: अच्छी सैलरी के साथ MBA के बाद मिलते हैं कई करियर ऑप्शन

Career In MBA: एमबीए करने के बाद अधिकतर लोग यही सोचते हैं कि जॉब किसमें और कैसे करनी चाहिए। इसलिए यह जानना जरूरी है कि MBA किन-किन फील्ड में किया जाता है और फिर क्या जॉब प्रोफाइल मिलती है-

career-after-MBA.

Image Credit: Freepik

हाइलाइट्स

  • फाइनेंस और एचएर (HR) जैसी अलग-अलग फील्ड में होता है MBA
  • मार्केटिंग में भी बना सकते हैं करियर
  • यहां जानें किस प्रोफेशन में मिलेगी कितनी सैलरी

सैलरी
भारत में, शीर्ष बी-स्कूलों से फाइनांस में एमबीए ग्रेजुएट काे 10 से 15 लाख रुपये के पैकेज, अन्य संस्थानों से आने वाले उम्मीदवार 4 से 6 लाख रुपये के शुरुआती पैकेज कमा सकते हैं। बढ़ते अनुभव और ज्ञान के साथ वेतन बढ़ता है। मध्यम स्तर के प्रोफेशनल्स 20 से 30 लाख रुपये का वार्षिक पैकेज कमाते हैं, जबकि वरिष्ठ स्तर के प्रोफेशनल्स 35 - 50 लाख और उससे भी अधिक प्रति वर्ष कमाते हैं।
इसे भी पढ़ें: Nursing Paper Writing: नर्सिंग पेपर राइटिंग के लिए इन टिप्स को करें फॉलो, मिलेंगे गुड मार्क्स

बिजनेस एनालिटिक्स में एमबीए (MBA in Business Analytics)
बिजनेस एनालिटिक्स में एमबीए एक स्पेजलाइजेशन फिल्ड है जो छात्रों को विभिन्न एनालिटिकल टूल्स (सांख्यिकीय और मात्रात्मक विश्लेषण, व्याख्यात्मक और प्रीडिक्टिव मॉडलिंग, डेटा विजुअलाइजेशन, आदि) का उपयोग करने के तरीके सीखाता है ताकि कई स्रोतों से डेटा एकत्र किया जा सके। ताकि कस्टमर बिहेवियर, मार्केट ट्रेंड और बिजनेस इंटेलिजेंस से संबंधित अन्य मामले में इसका उपयोग कर विश्लेषण किया जा सके।
बिजनेस एनालिटिक्स में एमबीए ग्रेजुएट सूचना प्रौद्योगिकी, हेल्थकेयर, वित्तीय संस्थानों, ई-कॉमर्स इत्यादि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी पा सकते हैं। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, एक्सेंचर, कैपजेमिनी, विप्रो, अमेजॅन इत्यादि बिजनेस एनालिटिक्स पेशेवरों के लिए कुछ शीर्ष भर्ती कर्ता हैं।

सैलरी
व्यापार में एनालिटिक्स के बढ़ते महत्व के कारण भारत में बिजनेस एनालिटिक्स पेशेवरों का औसत वेतन 11 लाख प्रति वर्ष जबकि फ्रेशर्स लगभग 5 - 8 लाख प्रति वर्ष, अनुभवी पेशेवर 10 - 18 लाख प्रति वर्ष और शीर्ष स्तर के लोग 30 - 55 लाख सालाना तक वेतन पा सकते हैं।

मार्केटिंग में एमबीए (MBA in Marketing)
मार्केटिंग मैनेजमेंट में एमबीए व्यवसाय के मार्केटिंग पहलू पर केंद्रित है। जिसमें छात्रों को ब्रांड मार्केटिंग, बिक्री, विभिन्न मार्केटिंग चैनलों और तकनीकों, एक्जीक्यूटिव और लीडरशिप मैनेजमेंट स्किल, प्रोडक्ट मैनेजमेंट, मार्केट रिसर्च, कस्टमर बिहेवियर के बारे में पढ़ाया जाता है। मार्केटिंग मैनेजमेंट में MBA करने के बाद आप निम्नलिखित क्षेत्रों में नौकरी पा सकते हैं –
कॉम्पेटिटिव मार्केटिंग, बिजनेस मार्केटिंग, ऑनलाइन मार्केटिंग, एनालिटिकल मार्केटिंग, कस्टमर रिलेशनशिप मार्केटिंग, एडवर्टाइजिंग मैनेजमेंट, प्रोडक्ट एंड ब्रांड मैनेजमेंट, रीटेलिंग मैनेजमेंट के क्षेत्र में कई विकल्प हैं। मार्केटिंग मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स एडवर्टाइजिंग एजेंसी, मार्केटिंग कंपनी, एफएमसीजी सेक्टर, फाइनांशियल सर्विस, आईटी आदि में जॉब पा सकते हैं। भारत में कुछ प्रमुख भर्ती कंपनियां हैं - एक्सेंचर, अमेज़ॅन, कैपजेमिनी, इंडसइंड बैंक, आईएनजी वैश्य बैंक, इंडिया इंफोलाइन, आदि।
इसे भी पढ़ें: UPSC IAS Exam: क्लीयर करना है यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम? जानें कौन सी स्ट्रीम है बेस्ट

सैलरी
भारत में मार्केटिंग मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स फ्रेशर्स जो प्रतिष्ठित बी-स्कूलों के ग्रेजुएट हों का वार्षिक वेतन 3.5 - 18 लाख तक हो सकता है। वेतन अनुभव के साथ बढ़ता है जो 15 - 40 लाख प्रति वर्ष तक हो सकता है।

ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में एमबीए (MBA in Human Resource Management)
ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में एमबीए ऑर्गजाइजेशन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों के प्रदर्शन को ज्यादा से ज्यादा करने पर फोकस है। यह छात्रों को मानव संसाधनों का प्रबंधन करने के तरीके के बारे में बताता है। ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स आईटी कंपनियों, कानून फर्मों, विज्ञापन फर्मों, खुदरा कंपनियों, मीडिया घरानों, समाचार पत्रों आदि में रोजगार के भरपूर अवसर पा सकते हैं।

सैलरी
एक एचआर प्रोफेशनल प्रति वर्ष 2.5 - 4 लाख रुपये का प्रारंभिक वेतन पा सकता है। हालांकि, प्रतिष्ठित बी-स्कूलों के ग्रेजुएट लगभग रु. 4.5 - 8 लाख प्रति वर्ष मध्य स्तर के पदों के लिए, वार्षिक वेतन 10-18 लाख, जबकि वरिष्ठ स्तर के पेशेवर लगभग 25 - 40 लाख प्रति वर्ष पा सकते हैं।

ऑपरेशंस मैनेजमेंट में एमबीए (MBA in Operations Management)
ऑपरेशंस मैनेजमेंट का काम उत्पाद की गुणवत्ता और लागत, निर्माण समय, उत्पादकता बढ़ाने और ग्राहकों की संतुष्टि को बढ़ाने सहित व्यवसाय संचालन से संबंधित हर चीज को अनुकूलित करने के इर्द-गिर्द घूमता है। खरीद प्रबंधन, सूची प्रबंधन, विक्रेता प्रबंधन और उद्यम संसाधन योजना (ईआरपी) एक व्यवसाय के संचालन प्रबंधन और सप्लाई चेन बनाते हैं।
इस विशेषज्ञता के साथ ग्रेजुएट आमतौर पर उत्पाद / सेवा आधारित इकाइयों में नौकरी प्राप्त करते हैं जिसमें रिटेल, लॉजिस्टिक्स, हॉस्पिटैलिटी, ट्रांसपोर्टेशन, मैन्यूफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, फाइनांस इंस्टीट्यूशन, मैनेजमेंट कंल्टेंसी, इंफॉरमेंशन टैक्नोलॉजी आदि में नौकरी पाते हैं। डैमको, ब्लू डार्ट, फर्स्ट फ्लाइट, गेल, ओएनजीसी, और एनएचपीसी भारत में ऑपरेशन मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए प्रमुख भर्ती करने वालों में से हैं।

सैलरी
भारत में, ऑपरेशंस मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स का औसत शुरुआती वेतन 4 - 7.5 लाख। प्रतिष्ठित बी-स्कूल ग्रेजुएट्स 6 - 10 लाख प्रति वर्ष, मध्य स्तर के प्रोफेशनल्स का वार्षिक वेतन 15-20 लाख और अपर लेवल के प्रोफेशनल्स का 28 - 40 लाख तक होता है।

कारवां का खुलासा: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे की कंपनी टैक्स हेवन में

डी-कंपनी नाम से अब तक दाऊद का गैंग ही होता था. भारत में एक और डी हेज फंड कैसे काम करते हैं और कमाते हैं? कंपनी आ गई है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके बेटे विवेक और शौर्य के कारनामों को उजागर करने वाली कारवां पत्रिका की रिपोर्ट में यही शीर्षक दिया गया है. The post कारवां का खुलासा: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे की कंपनी टैक्स हेवन में appeared first on The Wire - Hindi.

डी-कंपनी नाम से अब तक दाऊद का गैंग ही होता था. भारत में एक और डी कंपनी आ गई है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके बेटे विवेक और शौर्य के कारनामों को उजागर करने वाली कारवां पत्रिका की रिपोर्ट में यही शीर्षक दिया गया है.

अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल (बाएं) और शौर्य डोभाल (दाएं). (फोटो साभार: कारवां पत्रिका)

अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल (हेज फंड कैसे काम करते हैं और कमाते हैं? बाएं) और शौर्य डोभाल (दाएं). (फोटो साभार: कारवां पत्रिका)

डी-कंपनी नाम से अब तक दाऊद का गैंग ही होता था. भारत में एक और डी कंपनी आ गई है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके बेटे विवेक और शौर्य के कारनामों को उजागर करने वाली कारवां पत्रिका की रिपोर्ट में यही शीर्षक दिया गया है.

साल दो साल पहले हिन्दी के चैनल दाऊद को भारत लाने के कई प्रोपेगैंडा प्रोग्राम करते थे. उसमें डोभाल को नायक की तरह पेश किया जाता था. किसने सोचा होगा कि 2019 की जनवरी में जज लोया की मौत पर 27 रिपोर्ट छापने वाली कारवां पत्रिका डोवाल को डी-कंपनी का तमगा दे देगी.

कौशल श्रॉफ नाम के एक खोजी पत्रकार ने अमरीका, इंग्लैंड, सिंगापुर और केमैन आइलैंड से दस्तावेज़ जुटा कर डोभाल के बेटों की कंपनी का खुलासा किया है. कारवां पत्रिका के अनुसार ये कंपनियां हेज फंड और ऑफशोर के दायरे में आती हैं. टैक्स हेवन वाली जगहों में कंपनी खोलने का मतलब ही है कि संदिग्धता का प्रश्न आ जाता है और नैतिकता का भी.

यह कंपनी 13 दिन बाद 21 नवंबर 2016 को टैक्स केमैन आइलैंड में विवेक डोभाल अपनी कंपनी का पंजीकरण कराते हैं. कारवां के एडिटर विनोद होज़े ने ट्वीट किया है कि नोटबंदी के बाद विदेशी निवेश के तौर पर सबसे अधिक पैसा भारत में केमैन आइलैंड से आया था. 2017 में केमैन आइलैंड से आने वाले निवेश में 2,226 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. अब इसका मतलब सीधे भ्रष्टाचार से है या महज़ नैतिकता से.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे विवेक डोवाल भारत के नागरिक नहीं हैं. वे इंग्लैंड के नागरिक हैं. सिंगापुर में रहते हैं. GNY ASIA Fund का निदेशक है. केमैन आइलैंड, टैक्स चोरों के गिरोह का अड्डा माना जाता है.

कौशल श्रॉफ ने लिखा है कि विवेक डोवाल यहीं पर ‘हेज फंड’ का कारोबार करते हैं. बीजेपी नेता और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे शौर्य और विवेक का बिजनेस एक दूसरे से जुड़ा हुआ है. रिपोर्ट में कुछ जटिल बातें भी हैं जिन्हें समझने के लिए बिजनेस अकाउंट को देखने की तकनीकि समझ होनी चाहिए. कारवां की रिपोर्ट में विस्तार से पढ़ा जा सकता है.

2011 में अजित डोभाल ने एक रिपोर्ट लिखी थी कि टैक्स चोरी के अड्डों पर कार्रवाई करनी चाहिए. और उनके ही बेटे की कंपनी का नाम हेज फंड और ऐसी जगहों पर कंपनी बनाकर कारोबार करने के मामले में सामने आता है.

विवेक डोभाल की कंपनी के इसके निदेशक हैं डॉन डब्ल्यू ईबैंक्स और मोहम्मद अलताफ मुस्लियाम. ईबैंक्स का नाम पैराडाइज़ पेपर्स में आ चुका है. ऐसी कई फर्ज़ी कंपनियों के लाखों दस्तावेज़ जब लीक हुए थे तो इंडियन हेज फंड कैसे काम करते हैं और कमाते हैं? एक्सप्रेस ने भारत में पैराडाइज़ पेपर्स के नाम से छापा था.

उसके पहले इसी तरह फर्ज़ी कंपनियां बनाकर निवेश के नाम पर पैसे को इधर से उधर करने का गोरखधंधा पनामा पेपर्स के नाम से छपा था. पैराडाइज़ पेपर्स और पनामा पेपर्स दोनों में ही वॉल्कर्स कॉरपोरेट लिमिटेड का नाम है, जो विवेक डोवाल की कंपनी की संरक्षक कंपनी है.

कारवां ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि विवेक डोभाल की कंपनी में काम करने वाले कई अधिकारी शौर्य डोभाल की कंपनी में काम करते हैं. पत्रिका ने लिखा है कि इसका मतलब यह हुआ है कि कोई बहुत बड़ा फाइनेंशियल नेटवर्क चल रहा है.

इनकी कंपनी का नाता सऊदी अरब के शाही ख़ानदान की कंपनी से भी है. भारत की ग़रीब जनता को हिंदू-मुस्लिम परोस कर सऊदी मुसलमानों की मदद से धंधा हो रहा है. वाह मोदी जी वाह.

हिंदी के अख़बार ऐसी रिपोर्ट सात जनम में नहीं कर सकते. उनके यहां संपादक चुनावी और जातीय समीकरण का विश्लेषण लिखने के लिए होते हैं. पत्रकारिता के हर छात्र को कारवां की इस रिपोर्ट का विशेष अध्ययन करना चाहिए.

देखना चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और उनके बेटों का काला धन बनाने का कारखाना पकड़ने के लिए किन-किन दस्तावेज़ों को जुटाया गया है. ऐसी ख़बरें किस सावधानी से लिखी जाती हैं. यह सब सीखने की बात है. हम जैसों के लिए भी. मैंने भी इस लेवल की एक भी रिपोर्ट नहीं की है.

अपने रद्दी अखबारों को बंद कर ऐसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें. अगली बार कोई हिंदी का संपादक किसी चैनल के मीडिया कॉन्क्लेव में बड़बड़ा रहा होगा तो बस इतना पूछिएगा कि हिंदी के पत्रकार ऐसी ख़बरें क्यों नहीं करते हैं? क्या संपादकों की औकात नहीं है? हिंदी के अख़बारों में ऐसी ख़बरें नहीं छपेंगी इसलिए आप कारवां की इस रिपोर्ट को ख़ूब शेयर करें. लोगों तक पहुंचा दें. हम हिंदी वाले कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं.

(एक लेख मूल रूप से रवीश कुमार के फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ है. रवीश कुमार ने अपने मूल लेख को संशोधित किया है. इस लेख में भी वो संशोधन किए गए हैं.)

फाइनांस एक्सपर्ट बनकर अपने करियर को दे सकते हैं उड़ान, जानें 5 स्टेप्स

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बिजनेस और फाइनेंशियल मार्केट के विकास के साथ एम्प्लॉयर्स को ऐसे योग्य उम्मीदवारों की खोज रहती है जो उनके व्यापार को बढ़ाने में मदद कर सकें. अपने बिजनेस को तरक्की की राह पर लाने के लिए वे फाइनेंशियल एनालिसिस के आधार पर अपनी प्लानिंग करते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार 2026 तक दुनियाभर में फाइनेंशियल एनालिस्ट (financial analyst) की मांग कई गुना बढ़ सकती है. ऐसे में, मैथ्स पर अच्छी पकड़ और एनालिटिकल सोच वाले स्टूडेंट्स इस सुनहरे मौके का पूरा फायदा उठा सकते हैं. यह फाइनांस सेक्टर में मौजूद बेस्ट करियर ऑप्शन (Best Career Option) में से है. अब सवाल है कि फाइनेंशियल एनालिस्ट कैसे बनें?

इस आर्टिकल में हम आपको फाइनेंशियल एनालिस्ट बनने के 5 स्टेप्स बताएंगे. इसके लिए कौन सा कोर्स करना चाहिए? फाइनेंशियल एनालिस्ट क्या करते है? कहां-कहां जॉब के अवसर मिलते हैं और वह कितना कमाते है? ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस आर्टिकल में मिल जाएंगे…

अगर आप इन्वेस्टमेंट संबंधी निर्णय लेने में रुचि रखते हैं, स्टॉक और बॉन्ड की परफॉर्मेंस पर नज़र रखना आपको पसंद है तो आप यकीनन फाइनेंशियल एनालिस्ट के तौर पर शानदार करियर बना सकते हैं. आमतौर पर फाइनेंशियल एनालिस्ट दो तरह के होते हैं – बाय-साइड एनालिस्ट (buy-side analyst) और सेल-साइड एनालिस्ट (sell-side analyst). बाय-साइड एनालिस्ट हेज फंड या बीमा कंपनियों के लिए काम करते हुए इन्वेस्टमेंट प्लान बनाने में मदद करते हैं. सेल-साइड एनालिस्ट फाइनेंशियल सर्विस से जुड़े सेल्स एजेंटों को स्टॉक और बॉन्ड बेचने की सलाह देते हैं.

फाइनेंशियल एनालिस्ट को सिक्योरिटीज एनालिस्ट (securities analyst) और इन्वेस्टमेंट एनालिस्ट (investment analyst) भी कहते हैं. इनका काम है- अपने फील्ड या सेक्टर में रहे डेवलपमेंट पर नज़र रखना और समय-समय पर सलाह देना. इसके लिए वे इन्फॉर्मेशन कलेक्ट कर उसकी एनालिसिस करते हैं. फाइनेंशियल एनालिस्ट की नियुक्ति बैंक, फाइनेंशियल प्लानिंग इंस्टीट्यूशंस, इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी फर्म, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट फर्म, इन्श्योरेंस कंपनी और गवर्नमेंट रेगुलेटरी फर्म में होती है.

आजकल फाइनेंशियल एनालिस्ट की डिमांड अधिक है और इन्हें हाई सैलरी ऑफर की जाती है. एक फ्रेशर उम्मीदवार को औसतन 5 से 6 लाख का पैकेज मिल जाता है. थोड़े सीनियर लेवल पर 9 से 12 लाख का पैकेज मिलता है, हालांकि यह काम, लोकेशन और कंपनी पर भी निर्भर करता है.

बैचलर की डिग्री हासिल करें (Bachelor Degree in Finance): अगर आप इसमें बैचलर की डिग्री ले रहे हैं तो आप पहले से ही सही रास्ते पर हैं. अधिकतर फाइनेंशियल एनालिस्ट अकाउंटिंग (accounting), स्टैटिस्टिक्स (statistics) या इकोनॉमिक्स (economics) जैसे संबंधित विषयों का अध्ययन करते हैं. हालांकि, यह कोई शर्त नहीं है. इंजीनियरिंग और साइंस बैकग्राउंड वाले उम्मीदवार भी इस फील्ड में जाते हैं. अच्छा होगा कि आप बिज़नेस, इकोनॉमिक्स, अकाउंटिंग और मैथ्स के साथ बैचलर की डिग्री लें.

इंटर्नशिप पूरी करें (Finance Internship): इंटर्नशिप अनिवार्य नहीं है, लेकिन इससे करियर बनाने में लाभ मिलता है. इस फील्ड में आपकी समझ विकसित होने के साथ आपका नेटवर्क डेवलप होता है. इंटर्न के रूप में आपके द्वारा बनाए गए कुछ रिश्ते करियर में आपकी मदद करेंगे. आपका रिज्यूम (resume) अच्छा बनता है. इतना ही नहीं यह आपके एक्टिव इंटरेस्ट को दर्शाता है.

नौकरी पाएं (Finance job): संबंधित विषयों के साथ बैचलर की डिग्री लेने के बाद आप जूनियर फाइनेंशियल एनालिस्ट की नौकरी शुरू करें. करियर की शुरुआत में आप एक सीनियर के अंडर काम करते है. यहां आप इस फील्ड की बारीकियों को सीखते-समझते हैं. जूनियर लेवल से आगे बढ़ने और करियर में तरक्की के लिए मास्टर डिग्री की आवश्यक है.

एडवांस डिग्री या सीएफए लें (Get Certified): सीनियर लेवल पर आपको सीएफए (CFA) चार्टर लेना होगा. सीएफए चार्टर (CFA charter) सबसे प्रतिष्ठित पद है जिसे फाइनेंशियल एनालिस्ट ले सकता है. इसके लिए आपको तीन कठिन परीक्षा पास करने की आवश्यकता होगी. उम्मीदवार से यह अपेक्षा की जाती है कि हर लेवल की परीक्षा के लिए वह कम से कम 300 घंटे स्टडी करे. इसलिए सीएफए को हल्के में न लें. 12वीं पास उम्मीदवार सीए पूरा करने के बाद सीएफए कर सकते हैं.

लाइसेंस प्राप्त करें (Get License): इस फील्ड में करियर शुरू करने के बाद कुछ सर्टिफिकेट या लाइसेंस आवश्यक हो सकते हैं. फाइनेंशियल एनालिस्ट को बिना देर किए सभी जरूरी लाइसेंस हासिल करने चाहिए. कई कंपनियां केवल लाइसेंस वाले उम्मीदवारों को ही नौकरी देती है.

रेटिंग: 4.88
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 879