मूल नक्षत्र के जातकों का स्वभाव जिद्दी होता है। ये लोग अपना हर कार्य ईमानदारी के साथ पूरा करते हैं।

2nd PUC Hindi Workbook Answers व्याकरण रिक्त स्थान की पूर्ति

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Karnataka 2nd PUC Hindi Workbook Answers व्याकरण रिक्त स्थान की पूर्ति

अ) कोष्ठक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान भरिए :
(ने, को, से, के द्वारा, के लिए, का, की, के, में, पर)

1) पेड़ ……………. फल गिरता है। [से]
2) रमेश ………….. तीन बहनें हैं। [की]
3) घर ……….. सामने बगीचा है। [के]
4) मेज ………….. पुस्तक रख दो। [पर]
5) राम कैंची ……….. कागज स्वाभाविक और समय मूल्य काटता है। [से]
6) थैली …………. पुस्तक है। [में]
7) बिल्ली ………… सारा दूध पी लिया। [ने]
8) हम लोग बाग ………. घूमेंगे। [में]
9) वे घर-घर घूमकर पीड़ितों ……… सहायता करते हैं। [की]
10) मैंने ब्राह्मण ………….. धन दिया। [को]
11) हाथ …………… गिलास छूट गया। [से]
12) वे साहित्य और दर्शन …………. विद्वान थे। [के]
13) स्त्री ………….. सम्मान देना चाहिए। [को]
14) माँ ………… बेटे को समझाया। [ने]
15) रश्मि ने रमा ……….. पुस्तक दी। [को]

16) देश ……………. प्यार करना हमारा कर्तव्य है। [से]
17) यह संकोच ……………. युग नहीं है। [का]
18) सड़क ………… लोग जमा हैं। [पर]
19) आप अपने कमरे ……….. जाइए। [में]
20) वह गाड़ी ……………. उतरा। [से]
21) पुस्तकालय ………….. बहुत सी किताबें हैं। [में]
22) वीरों ने देश ……….. प्राणों की आहुति दी। [के लिए]
23) पीड़ितों …………. दान दो। [को]
24) नाव नदी ………….. डूब गई। [में]
25) कुत्ते ………… पिल्ला बड़ा प्यारा है। [का]
26) अहमद …………. पत्र लिखा गया। [से]
27) स्वाभाविक और समय मूल्य पंछी ……….. पिंजरा खाली किया। [ने]
28) वह अपने गुरु …………. इज्जत करता है। [की]
29) यह काम मेरे मित्र …………… हो जाएगा। [के द्वारा]
30) कलावती बच्चों ……….. पढ़ा रही है। [को]

आ) कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए :

(पावन, भला, किताब, समाज, विज्ञान, स्वभाव, समय, ज्ञान)
1) आप ……….. तो जग भला। [भला]
2) साहित्य ………….. का दर्पण है। [समाज]
3) वह सरस्वती देवी का ………….. मंदिर है। [पावन]
4) आज का युग ……….. का युग है। [विज्ञान]
5) ………….. परिवर्तनशील है। [समय]
6) उस ………. का क्या मूल्य है? [किताब]
7) मानस में भक्ति, ……. और कर्म का समन्वय है। [ज्ञान]
8) उसके ……….. में मधुरता है।[स्वभाव]

इ) कोष्ठक में दिए गए कारक चिन्हों/शब्दों से रिक्त स्थान भरिए :
1. (का, पर, को, से)
1) कुत्सित लोगों …………… सभी घृणा करते हैं। [से]
2) जो खर्च करता है, उसी ………….. देता है। [को]
3) उसके चेहरे …………… रंग लाल हो गया। [का]
4) इस पद …………. उन्होंने तीन वर्षों तक काम किया। [पर]

2. (ईश्वर, पुस्तक, बालक, खाना)
1) मेरे लिए ……….. लाओ। [खाना]
2) ……………. तुम्हे सुख व समृद्धि दे। [ईश्वर]
3) …………. ने रोटी खाई। [बालक]
4) वह ………… पढ़ रहा है। [पुस्तक]

3. (पास, दर्द, कई, निकल)
1) उसके …………… बहुत सोना है। [पास]
2) उसके प्राण ………. रहे हैं। [निकल]
3) मैंने तुम्हें ………….. बार कहा। [कई]
4) उसके पेट में ………….. हो रहा है। [दर्द]

4. (फल, कैंची, सामने, पुस्तक)

1) पेड़ से …………. गिरता है। [फल]
2) घर के …………… बगीचा है। [सामने]
3) मेज पर ………. रख दो। [पुस्तक]
4) राम …………. से कागज काटता है। [कैंची]

5. (बहनें, धन, नई, निर्णय)
1) मैं …………… पोशाक पहनूँगा। [नई]
2) पंचों का …………… सभी को मान्य है। [निर्णय]
3) रमेश की तीन …………. हैं। [बहनें]
4) मैंने ब्राह्मण को ……….. दिया। [धन]

6. (ने, की, के, में)
1) थैली ………….. पुस्तक है।। [में]
2) बिल्ली …………. सारा दूध पी लिया। [ने]
3) वे घर-घर घूमकर पीड़ितों …….. सहायता करते हैं। [की]
4) वे साहित्य और दर्शन …………. विद्वान थे। [के]

7. (बेटे, लोग, सम्मान, गिलास)
1) सड़क पर …………… जमा हैं। [लोग]
2) हाथ से …………. छूट गया। [गिलास]
3) स्त्री को …………. देना चाहिए। [सम्मान]
4) माँ ने ………….. को समझाया। [बेटे]

1) वीरों …………… देश के लिए प्राणों की आहुति दी। [ने]
2) रश्मि ने रमा ………… पुस्तक दी। [को]
3) आप अपने कमरे ……………. जाइए। [में]
4) वह गाड़ी …………. उतरा। [से]

9. (पत्र, नदी, पिल्ला, बहुत-सी)
1) पुस्तकालय में ………. किताबें हैं। [बहुत-सी]
2) नाव …………… में डूब गई। [नदी]
3) कुत्ते का …………… बड़ा प्यारा है। [पिल्ला]
4) अहमद से ……………. लिखा गया। [पत्र]

10. (की, से, ने, में)
1) मानस ……………. भक्ति, ज्ञान और कर्म का समन्वय है। [में]
2) पंछी ………….. पिंजरा खाली किया। [ने]
3) वह अपने गुरु …………… इज्जत करता है। [की]
4) यह काम मेरे मित्र ………….. हो जाएगा। [से]

11. (युग, दर्पण, दान, बाग)
1) हम लोग …………. में घूमेंगे। [बाग]
2) यह संकोच का ………….. नहीं है। [युग]
3) पीड़ितों को ……………. दो। [दान]
4) साहित्य समाज का …………. है। [दर्पण]

12. (पावन, विज्ञान, समय, भला)

1) आप ……………. तो जग भला। [भला]
2) वह सरस्वती देवी का ……………. मंदिर है। [पावन]
3) आज का युग ………….. का युग है। [विज्ञान]
4) …………. परिवर्तनशील है। [समय]

अपने काम में निपुण होते हैं धनु राशि और मूल नक्षत्र में जन्मे लोग, मुकेश अंबानी का भी स्वाभाविक और समय मूल्य यही है जन्म नक्षत्र

Mool Nakshatra: मूल नक्षत्र के लोग हमेशा अपने लक्ष्य को लेकर केंद्रित रहते हैं और जब तक इन्हें लक्ष्य नहीं मिल जाता तब कर ये लोग राहत की सांस नहीं स्वाभाविक और समय मूल्य लेते।

अपने काम में निपुण होते हैं धनु राशि और मूल नक्षत्र में जन्मे लोग, मुकेश अंबानी का भी यही है जन्म नक्षत्र

मूल नक्षत्र के जातकों का स्वभाव जिद्दी होता है। ये लोग अपना हर कार्य ईमानदारी के साथ पूरा करते हैं।

मूल नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में आते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। मान्यता है कि इस नक्षत्र में जन्मे बच्चों को कुछ समय तक परेशानियां होती हैं। जिस कारण ग्रह-नक्षत्रों की शांति के लिए पूजा की जाती है। नक्षत्र मंडल में इस नक्षत्र का स्थान 19वां है। मूल नक्षत्र के जातकों का स्वभाव जिद्दी होता है। ये लोग अपना हर कार्य ईमानदारी के साथ पूरा करते हैं। एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी भी स्वाभाविक और समय मूल्य धनु राशि और मूल नक्षत्र में जन्मे हैं।

मूल नक्षत्र के लोग हमेशा अपने लक्ष्य को लेकर केंद्रित रहते हैं और जब तक इन्हें लक्ष्य नहीं मिल जाता तब कर ये लोग राहत की सांस नहीं लेते। इन लोगों को विचार काफी दृढ़ होते हैं और निर्णय लेने की इनमें अच्छी क्षमता होती है। ये पढ़ने लिखने में बुद्धिमान और भविष्य को लेकर हमेशा गंभीर रहते हैं। इन्हें कम उम्र में ही इस बात का पता चल जाता है कि इन्हें आगे चलकर क्या करना है।

हर चीज का इनके पास पहले से ही प्लान रहता है। ये मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ये खोजी बुद्धि के होते हैं। इन्हें हर चीज की जानकारी रहती है। इनका स्वभाव दयालु होता है जिस कारण कई लोग इनका फायदा भी उठा लेते हैं। ये अपने कार्य में कुशल और निपुण होते हैं। कार्यस्थल पर ये हमेशा आगे रहते हैं। ये खुद का व्यवसाय करना ज्यादा पसंद करते हैं। चुनौतियों से लड़ना इन्हें पसंद होता है। दूसरों की मदद के लिए ये लोग हमेशा तैयार रहते हैं। यह भी पढ़ें- मेष राशि और भरणी नक्षत्र में जन्मे हैं गृह मंत्री अमित शाह, अपनी धुन के पक्के होते हैं इस नक्षत्र में जन्मे लोग

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मूल नक्षत्र में जन्मे लोग अपने परिवार की हर जरूरत को पूरा करते हैं और माता पिता की हर बात मानते हैं। इनके मित्र काफी कम होते हैं और उनके लिए ये कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। मूल नक्षत्र वाले व्यक्ति यश, प्रतिभा, धन सब प्राप्त करने वाले होते हैं। इन लोगों पर भगवान की विशेष कृपा रहती है। इस नक्षत्र के जन्मे व्यक्ति कर्मठ व सक्रिय होते हैं। अपने विचारों को क्रियान्वित करने में ये देरी नहीं करते। यह भी पढ़ें- इस यंत्र को तिजोरी या अलमारी में रखने से धन-वैभव में हो सकती है बढ़ोतरी, ऐसी है मान्यता

Manav Mool Pravrati Hindi (मानव की मूल प्रवृति)

http://www.hindisarkariresult.com/manav-mool-pravrati-hindi/

Manav ki mool pravriti

Manav Mool Pravrati Hindi/ Manav ki Mool Pravrati

मानव जो कार्य बिना सीखे हुए जन्मजात या प्राकृतिक प्रेरणाओं के आधार पर करता है वह मानव की मूल प्रवृत्ति कहलाती है. या दूसरे शब्दों में कहें तो-

“मानव की मूल प्रवृत्ति वह क्रिया है जो जन्मजात होती है। यह एक आन्तरिक बल की तरह है जो हमारे आवश्यकता की पूर्ति के लिये आवश्यक होती है।”

उदाहरण के लिए: भूख ,प्यास, दुख, सुख, गुस्सा, आदि।

मानव की मूल प्रवृत्तियां 14 होती हैं. मूल प्रवृत्तियों का सिद्धांत विलियम मैकडूगल (William McDougall) ने दिया था. प्रत्येक मूल प्रवृत्ति से एक संवेग संबंधित होता है. संवेग की उत्पत्ति मूल प्रवृत्तियों से हुई है.

संवेग मतलब (Emotion): E+ Motion यानि अन्दर के भाव जब बाहर की तरफ गति करते हैं यानि अन्दर के भाव का बाहर प्रक्त होना ही संवेग या emotion है.

जन्म के समय बालक के अंदर तीन स्वाभाविक और समय मूल्य संवेग होते हैं:

भय, क्रोध और प्रेम

इसे भी पढ़ें: बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएं

मूल प्रवृत्तियां और उनके संवेग

मूल प्रवृत्ति संवेग
पलायन (भागना) भय
निवृति (अप्रियता) घृणा
युयुत्सा (युद्ध प्रियता) क्रोध
शिशु रक्षा वात्सल्य/ प्रेम
संवेदनशीलता कष्ट
काम प्रवृति कामुकता
जिज्ञासा आश्चर्य
आत्महीनता अधीनता की भावना
आत्म प्रदर्शन श्रेष्ठता की भावना
सामूहिकता एकाकीपन
भोजन तलाश भूख
संचय अधिकार की भावना
श्रचना रचना का आनंद ले
हास आमोद

सहज एवं मूल प्रवृत्ति

मनुष्यों की तरह पशुओं में भी जन्म से ही अनेक प्रकार के जटिल कार्य करने की क्षमता होती है। ये कार्य जीवनयापन के निमित्त अत्यंत आवश्यक होते हैं. जैसे: शिशु को स्तनपान कराना, संतान के हितगत पशु जाति का व्यवहार, चिड़िया की घोंसला बनाने की प्रवृत्ति, इत्यादि।
ऐसी प्रवृत्तियाँ भी जन्मजात प्रकृति का अंग होती हैं। यदि चौपाए भागते-दौड़ते हैं, जो पक्षी उड़ते फिरते हैं। जहाँ मधुमक्खी सुगंधित पुष्पों पर मंडराती है वहाँ छिपकली कीट, स्वाभाविक और समय मूल्य फतिंगों का शिकार करती है। ऐसी प्राकृतिक जीवनोपयोगी वृत्तियों को सहज प्रवृत्ति, वृत्ति व्यवहार (इंस्टिंक्ट) अथवा जातिगत प्रकृति भी कह सकते हैं।

पशुओं का प्रत्येक आचरण, मूल रूप से उसकी विशेष प्रकृति प्रदत्त प्रवृत्ति से ही विकसित होता है। एक बैल या उसका बछड़ा, घासफूस, पत्ते, तृण आदि से पेट भरता है। परंतु एक उच्च वर्ग का सभ्य आदमी तथा उसके बच्चे विशेष ढंग से पकवान बनवाकर और सही ढंग से बैठकर बर्तन आदि में भोजन करते हैं। सभ्यता के कृत्रिम आवरण में हम प्रकृति प्रदत्त मूल प्रवृत्ति की एक धुँधली सी झलक देख सकते हैं। Manav Mool Pravrati स्वाभाविक और समय मूल्य Hindi

विलियम मैक्डूगल के अनुसार प्रत्येक मूल प्रवृत्ति के तीन अंग होते हैं-

1. एक विशेष उद्दीपक परिस्थिति
2. एक विशिष्ट रसना अथवा संवेग और
3. एक विशिष्ट प्रतिक्रिया क्रम।

इनमें से संयोगवश उद्दीपक परिस्थिति तथा अनुकूल कार्य के क्रम में अत्यधिक परिवर्तन होता है। सामान्यत: कष्टप्रद अपमानजनक व दु:साध्य परिस्थिति में मनुष्य क्रोधित होकर प्रतिकार करता है। किंतु जहाँ बच्चा खिलौने से रुष्ट होकर उसे तोड़ने का प्रयास करता है, वहाँ एक वयस्क स्वदेशाभिमान के विरुद्ध विचार सुनकर घोर प्रतिकार करता है। जहाँ बच्चे का प्रतिकार लात, धूँसा तथा दाँत आदि का व्यवहार करता है, वहाँ वयस्क का क्रोध अपवाद, सामाजिक बहिष्कार, आर्थिक हानि तथा अद्भुत भौतिक रासायनिक अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग करता है। किंतु क्रोध का अनुभव तो सब परिस्थितियों में एक समान रहता है।

प्रा. मैक्डूगल ने पशु वर्ग के विकास, तथा संवेगों के निश्चित रूप की कसौटी से एक मूल प्रवृत्तियों की सूची भी बनाई है। संवेग अथवा भय, क्रोध आदि को ही मुख्य मानकर तदनुसार मूल प्रवृत्तियों का नाम, स्वभाव आदि का वर्णन किया है। उनकी सूची बहुत लोकप्रिय है और उसकी ख्याति प्राय: अनेक आधुनिक समाजशास्त्रों में मिलती है। परंतु वर्तमानकाल में उसका मान कुछ घट गया है।

डॉ॰ वाटसन ने अस्पताल में सद्य:जात शिशुओं की परीक्षा की तो उन्हें केवल क्रोध, भय और काम वृत्तियों का ही तथ्य मिला। एक जापानी वैज्ञानिक डॉ॰ कूओं ने यह पाया है कि सभी बिल्लियाँ न तो चूहों को प्रकृत स्वभाव से मारती हैं और न ही उनकी हत्या करके खाती हैं। उचित सीख से तो बिल्लियों की मूल प्रवृत्ति में इतना अधिक विकार आ सकता है कि चूहेमार जाति की बिल्ली का बच्चा, बड़ा होकर भी चूहे से डरने लगता है। अत: अब ऐसा समझते हैं कि जो वर्णन मैक्डूगल ने किया है वह अत्यधिक सरल है। Manav Mool Pravrati Hindi

आधुनिक मनोवैज्ञानिक स्थिति को सरलतम बनाकर समझने के निमित्त, मानसिक उद्देश्यपूर्ति की उलझन से बचकर, शरीर के सूक्ष्म क्रियाव्यवहार को ही मूल प्रकृति मानने लगे हैं। उन्हें दैहिक तंतुओं के मूल गुण प्रकृति मर्यादित तनाव (Tissue Tension) में ही मूल प्रवृत्ति का विश्वास होता है। जब उद्दीपक वा परिस्थिति विशेष के कारण देह के भिन्न तंतुओं (रेशों) में तनाव बढ़ता है, तो उस तनाव के घटाने के हिव एक मूल वृत्ति सजग हो जाती है और इसकी प्रेरणा से जीव अनेक प्रकार की क्रियाएँ आरंभ करता है। जब उचित कार्य द्वारा उस दैहिक तंतु तनाव में यथेष्ट ढिलाव हो जाता है, तब तत्संबंधित मूल वृत्ति तथा उससे उत्पन्न प्रेरणा भी शांत हो जाती है। दैहिक तंतुओं का एक गुण और है कि विशेष क्रिया करते करते थक जाने पर विश्राम की प्रवृत्ति होती है। प्रत्येक दैहिक तथा मनोदैहिक क्रिया में न्यूनाधिक थकान तथा विश्राम का धर्म देखा जाता है। अत: निद्रा को यह आहार, भय, मैथुन आदि से सूक्ष्म कूठरस्थ वृत्ति मानते हैं। अर्थात आधुनिक मत केवल दो प्रकार की मूल प्रवृत्ति मानने का है-

(1) दैहिक तंतु तनाव को घटाने की प्रवृत्ति (या अपनी मर्यादा बनाए रखने की प्रवृति);

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द:-

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भाषा की सुदृढ़ता, भावों की गम्भीरता और चुस्त शैली के लिए यह आवश्यक है कि लेखक शब्दों (पदों) के प्रयोग में संयम से काम ले, ताकि वह विस्तृत विचारों या भावों को थोड़े-से-थोड़े शब्दों में व्यक्त कर सके। समास, तद्धित और कृदन्त वाक्यांश या वाक्य एक शब्द या पद के रूप में संक्षिप्त किये जा सकते है। ऐसी हालत में मूल वाक्यांश या वाक्य के शब्दों के अनुसार ही एक शब्द या पद का निर्माण होना चाहिए।

दूसरी बात यह कि वाक्यांश को संक्षेप में सामासिक पद का भी रूप दिया जाता है। कुछ ऐसे लाक्षणिक पद या शब्द भी है, जो अपने में पूरे एक वाक्य या वाक्यांश का अर्थ रखते है। भाषा में कई शब्दों के स्थान पर एक शब्द बोल कर हम भाषा को प्रभावशाली एवं आकर्षक बनाते है।

आज का मंडी भाव कैसे देखें 2022 | मंडी भाव जिलेवार देखें | Mandi Bhav Online State Wise

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का अहम् योगदान है | भारत एक कृषि प्रधान देश होनें के कारण यहाँ की अधिकांश जनसँख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है | यह कृषि करनें वाले लोगो की समृद्धि और रोज़गार को एक बड़े पैमानें पर पर प्रभावित करती है | चूँकि भारत में कृषि कार्य एक बड़े पैमानें पर किया जाता है, परन्तु किसानों के सामनें सबसे बड़ी समस्या यह आती है, कि वह अपनें फसल या उत्पादन का विक्रय कहाँ करे, जिससे उन्हें अधिक लाभ प्राप्त हो सके |

किसान भाइयों को इस समस्या को दूर करनें के लिए सरकार द्वारा आधुनिक मंडियों के साथ-साथ पोर्टल और एप विकसित किये गये है, जिसकी सहयता से आप प्रतिदिन का मंडी भाव आप घर बैठे देख सकते है | मंडी भाव आज का कैसे देखें अर्थात किस मंडी में किसी उपज का क्या रेट चल रहा है, यह जानकारी प्राप्त करनें के साथ ही आप मंडी भाव जिलेवार देख सकते है | तो आईये जानते है, मंडी भाव आज का कैसे देखें?, इसके अलावा आपको यहाँ MandiBhav Online State Wise भी जानकारी दी गई है |

कृषि मंडी किसे कहते है (What is Agricultural स्वाभाविक और समय मूल्य Mandi)

कृषि मंडी का तात्पर्य एक ऐसे स्थान से है, जहाँ कृषि से सम्बंधित वस्तुओं और सेवाओं को खरीदा और बेचा जाता है | भारत में मंडी का इतिहास बहुत पुराना है, स्वतंत्रता से पूर्व किसान अपनें खेतों में उत्पादित फसलों को अपनें नजदीकी क्षेत्रों में हाट या बाजारों के माध्यम से बेचा करते थे। दरअसल किसानो सामनें इसके आलावा कोई विकल्प नही था, वह अपनी फसलों को औनें-पौनें दामों में बेंचनें के लिए मजबूर होते थे |

समय परिवर्तन होनें के साथ ही मंडियों में काफी विकास देखनें को मिला | यदि हम वर्तमान समय की बात करे, तो आज किसानों के पास कई ऐसे विकल्प मौजूद है | जिसकी सहयता से वह अपनें उत्पादन को उचित दामों में बड़ी सरलता से बेंच सकते है| दरअसल सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक आधुनिक मंडियों की व्यवस्था कर दी गयी है| यहाँ तक कि आज के आधुनिक दौर में किसान घर बैठे ही अपनें उत्पाद के भाव से सम्बंधित जानकारी ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकते है |

आधुनिक दौर में मंडियों का स्वरुप (Nature of Mandis in Modern Times)

वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करनें के लिए सरकार द्वारा निरंतर सार्थक कदम उठाये जा रहे है | सरकार किसानों के समक्ष आने वाली समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उसके निवारण हेतु निरंतर सार्थक कदम उठाये जा रहे है | किसानों की आय का मुख्य स्त्रोत फसलों का उत्पादन है और जब किसान अपनें उत्पादन को उचित दामों में बेचनें में असफल हो जाते है, तो स्वाभाविक रूप से उन्हें लाभ न के बराबर स्वाभाविक और समय मूल्य होता है|

नियमित मंडियों की व्यवस्था (Arrangement of Regular Mandi)

सरकार नें किसानों की फसल विक्रय के लिए नियमित मंडियों को व्यवस्था की है अर्थात इन मंडियों में प्रतिदिन कृषि उत्पादों का क्रय-विक्रय होता है | इन मंडियों में किसान स्वेच्छा से अपनी फसल का विक्रय बिना किसी बिचौलिये के कर सकते है | नियमित मंडियां किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने में एक कारगर कदम है। इसके माध्यम से किसानों को उनके उपज का सही मूल्य मिल पाता है।

राष्ट्रीय कृषि बाजार ई-नाम (National Agricultural Market e-NAM)

किसानों को अपनी फसल बेचनें के लिए सरकार नें मंडी के कई नई सरकारी योजनों का शुभारम्भ किया है, जिसमें मंडी की स्थिति को सुधारने के लिए ई-नाम पोर्टल की शुरुआत की गई है। यह एक ऐसा पोर्टल है, जो पूरे देश में मौजूद कृषि उत्पाद विपणन समिति (Marketing Committee) को एक नेटवर्क में जोड़ने का कार्य करता है |

ई-नाम पोर्टल देश के किसी भी राज्य की कृषि बाजार को एक विशेष सॉफ्टवेयर की सहायता से जोडनें का कार्य करता है अर्थात आप पूरे भारत की किसी भी मंडी का रेट पलक झपकते पता कर सकते है | इस पोर्टल पर कृषि उत्पादों से सम्बंधित खरीदी और बेची जाने वाली वस्तु की जानकारी, मार्किट में आने वाली वस्तु और उसके भाव अर्थात रेट की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।

ई-नाम पोर्टल पर आज का मंडी भाव देखनें के लिए – यहाँ क्लिक करे

मंडी भाव आज का कैसे देखें (How to See Today’s MandiPrice)

आज के इस इन्टरनेट युग में हम जिस प्रकार हम अपनें अन्य कार्य बड़ी सरलता से कर लेते है, ठीक उसी प्रकार प्रतिदिन का मंडी भाव भी हम घर बैठे प्राप्त कर सकते है | दरअसल केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों नें अपनें राज्य के किसानों को लिए पोर्टल और एप लांच किये है, जिसकी सहायता से किसान अपनें उत्पाद के भाव की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते है |

यहाँ आपको हम कुछ पोर्टल और एप के बारें में जानकारी दे रहे है, जिसे आप अपनें मोबाइल में डाउनलोड कर किसी भी समय और किसी भी स्थान पर मंडी में चल रहे भाव की जानकारी प्राप्त कर सकते है |

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