India's rank in the Global Hunger Index is near the bottom -- 107 out of 121 countries — P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 15, 2022

Market today: कमजोर ग्लोबल संकेतों से बाजार में गिरावट, जानिए सोमवार को कैसी रह सकती है इसकी चाल

BSE के सभी सेक्टर इंडेक्स में गिरावट रही। निफ्टी के भी सभी सेंक्टर इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं। आज रियल्टी, IT और फार्मा शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही है। पावर, ऑटो और कज्यूमर गुड्स शेयरों में भी बिकवाली रही है।

पावर, ऑटो और कज्यूमर गुड्स शेयरों में भी बिकवाली रही है। दिग्गजो की तरह छोटे-मझोले शेयर भी आज बिकवाली की शिकार हुए हैं

Market today: कमजोर ग्लोबल संकेतों के चलते बाजार में आज बिकवाली का दबाव रहा है। आज भी सेंसेक्स-निफ्टी दिन के निचले स्तर पर बंद हुए हैं। BSE के सभी सेक्टर इंडेक्स में गिरावट रही। निफ्टी के भी सभी सेंक्टर इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं। आज रियल्टी, IT और फार्मा शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही है। संकेतक किसके लिए हैं? पावर, ऑटो और कज्यूमर गुड्स शेयरों में भी बिकवाली रही है। दिग्गजों की तरह छोटे-मझोले शेयर भी आज बिकवाली के शिकार हुए हैं। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 461.22 अंक यानी 0.75 फीसदी की गिरावट के साथ 61,337.81 के स्तर पर बंद हुआ है। वहीं, निफ्टी 145.90 अंक यानी 0.79 फीसदी की गिरावट के साथ 18,269.00 के स्तर पर बंद हुआ है।

सेंसेक्स के 30 में से 27 शेयरों में गिरावट रही। वहीं, निफ्टी के 50 में से 45 शेयरों में बिकवाली रही। निफ्टी बैंक के 12 में से 11 शेयरों में गिरावट देखने को मिली।

निफ्टी पर आज सबसे ज्यादा चढ़ने और गिरने वाले Top-5 शेयर

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BSE के Top 5 ट्रेडिंग स्टॉक्स

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टाटा मोटर्स, एचयूएल, नेस्ले इंडिया, एचडीएफसी बैंक और यूपीएल निफ्टी के टॉप गेनर रहे। वहीं, अडानी पोर्ट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बीपीसीएल, एशियन पेंट्स और डॉ रेड्डीज निफ्टी के टॉप लूजर रहे।

बैंकिंग शेयरों की भी आज पिटाई होती दिखी। बैंक निफ्टी 0.64 फीसदी टूटकर 43,219.50 के स्तर पर बंद हुआ। फार्मा, ऑटो, आईटी,पीएसयू बैंक और मीडिया शेयरों की सबसे ज्यादा धुनाई हुई है। निफ्टी की ऑटो इंडेक्स 1.07 फीसदी टूटकर बंद हुआ है तो आईटी इंडेक्स 1.33 फीसदी की कमजोरी के साथ बंद हुआ है। जबकि फार्मा इंडेक्स 1.40 फीसदी टूटा है। रियल्टी शेयरों में भी जोरदार बिकवाली हुई है। निफ्टी की रियल्टी इंडेक्स 1.51 फीसदी की कमजोरी के साथ बंद हुआ है।

बीएसई पर नजर डालें तो बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 1.44 फीसदी की गिरावट के साथ 25739.21 के स्तर पर बंद हुआ है। वहीं, बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 0.96 फीसदी की गिरावट के साथ 29516.75 के स्तर पर बंद हुआ है। बीएसई हेल्थ केयर इंडेक्स 1.33 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ है। वहीं, बीएसई का बैंक इंडेक्स 0.68 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ है।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के विनोद नायर का कहना है कि आज ग्लोबल बाजारों की कमजोरी आगे बढ़ती दिखी। ECB और BoE ने भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी का क्रम जारी रखा। इसके साथ महंगाई पर संकेतक किसके लिए हैं? नियंत्रण के मुद्दे पर इनका हॉकिस नजरिया कायम रहा। इससे ग्लोबल बाजारों के साथ ही भारतीय बाजारों पर भी दबाव बढ़ता दिखा। महंगाई से लड़ने के लिए ग्लोबल सेंट्रल बैंकों के आक्रामक नजरिए ने ग्लोबल इकोनॉमी की हेल्थ को लेकर चिंता पैदा कर दी है। बार-बार दबाव से उबरे की कोशिश के बावजूद ग्लोबल बाजारों से मिल रहे निगेटिव संकेत ने बाजार को आज निगेटिव जोन में ढकेल दिया।

सोमवार को कैसी रह सकती है बाजर की चाल

मेहता इक्विटीज (Mehta Equities) के प्रशांत तापसे (Prashanth Tapse) का कहना है कि ग्लोबल मार्केट की तर्ज पर आज भारतीय बाजारों में भी बिकवाली रही। दुनियाभर में इस तरह की चर्चा गर्म है कि यूएस फेड महंगाई और ब्याज दरों में बढ़त पर अपने रवैये में जल्द कोई बदलाव नहीं करने वाला है। इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि यूएस फेड अपनी दरों को 4.6 फीसदी से बढ़ा कर 5.1 फीसदी पर ले जा सकता है। इस समय महंगाई सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। ऐसे में दुनिया भर के सेंट्रल बैंक इससे निपटने में लगे हुए हैं। तकनीकी नजरिए से देखें तो निफ्टी के लिए 18001 के मनोवैज्ञानिक लेवल पर सपोर्ट दिख रहा है। वहीं, ऊपर की तरफ 18697 के स्तर पर पहली बाधा दिख रही है।

कोटक सिक्योरिटीज (Kotak Securities) के अमोल अठावले का कहना है कि कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच बाजार में आज जोखिम से बचने की प्रवृत्ति हावी रही। भारतीय बाजारों में एक बार फिर से विदेशी निवेशकों की बिकवाली देखने को मिल रही है। इससे भी मार्केट सेंटीमेंट खराब हुआ है। टेक्निकल नजरिए से देखें तो डेली चार्ट संकेतक किसके लिए हैं? पर लोअर टॉप फॉर्मेशन और इंट्राडे चार्ट पर डबल टाप रिवर्सल फॉर्मेशन बाजार में करेंट लेवल से और बिकवाली आने का संकेत दे रहे हैं।

निफ्टी ने न सिर्फ 18400 का अपना अहम सपोर्ट तोड़ दिया है बल्कि इसके नीचे बंद हुआ है। अब निफ्टी के लिए अगला सपोर्ट इसके 50 day SMA यानी 18100-18000 पर होगा। वहीं, ऊपर की तरफ 18400 पर निफ्टी के लिए पहला रजिस्टेंस है। अगर निफ्टी इस बाधा को पार कर लेता है तो फिर ये हमें एक बार फिर से अपना 20-day SMA यानी 18550 का स्तर छूता नजर आ सकता है। इसके बाद निफ्टी 18700 की तरफ जाता दिख सकता है।

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First Published: Dec 16, 2022 3:41 PM

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Index Mutual Fund: कम रिस्‍क, कम खर्च और बेहतर रिटर्न; उतार-चढ़ाव भरे मार्केट में क्‍यों है बेहतर ऑप्‍शन

Index Mutual Fund: साउथ अफ्रीका में कोविड-19 के नए वेरिएंट के बाद दुनियाभर के बाजारों में काफी तेज हलचल है. बाजार के रुख पर म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) संकेतक किसके लिए हैं? निवेशक भी सतर्क दिखाई दे रहे हैं. बहरहाल, म्यूचुअल फंड में कई कैटेगरी है, जिनमें कम रिस्‍क में बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सकता है. इनमें एक कैटेगरी इंडेक्स म्‍यूचुअल फंड्स की है. कोविड की दूसरी लहर के बीच इन फंड्स में निवेशकों को रुझान देखा गया था. बाजार में ज्‍यादा वॉलेटिलिटी हो तो इंडेक्‍स म्‍यूचुअल फंड एक बेहतर ऑप्‍शन है. एक्‍सपर्ट मानते हैं कि इंडेक्‍स म्‍यूचुअल फंड्स (Index Mutual Funds) में रिस्‍क कम है और खर्च भी कम है.

बीपीएन फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है, इंडेक्स फंड्स, म्यूचुअल फंड्स की एक कैटेगरी है. इन्‍हें पैसिव फंड्स कहा जाता है. ये फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. मसलन, इन स्‍कीम्‍स का पैसा फंड मैनेजर NSE Nifty, BSE Sensex जैसे इंडेक्‍स में संकेतक किसके लिए हैं? शामिल कंपनियों में लगाते हैं. इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वेटेज होता है, स्कीम में उसी अनुपात में उनके शेयर खरीदे जाते हैं. ऐसे फंड्स का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा ही होता है. इसमें फंड मैनेजर पोर्टफोलियो का कम्‍पोजिशन नहीं बदल सकता है. इन फंड्स में आमतौर पर इंडेक्‍स के प्रदर्शन से बेहतर रिटर्न मिलता है.

Index Mutual Fund: रिस्‍क, कॉस्‍ट और रिटर्न

निगम का कहना है, इंडेक्स म्‍यूचुअल फंड्स पैसिवली मैनेज्‍ड फंड होते हैं. इसलिए इसमें एक्सपेंस रेश्यो यानी फंड पर आने वाली लागत कम होती है. इमें एक्टिवली मैनेज्‍ड इक्विटी फंड्स के मुकाबले कम वॉलेटिलिटी रहती है. इसलिए इंडेक्‍स म्‍यूचुअल फंड्स (Index Mutual Funds) में रिस्‍क भी कम रहता है. निगम कहते हैं, मार्केट में अस्थिरता के समय इन फंड्स में निवेश बेहतर ऑप्‍शन रहता है. हालांकि, निवेशकों को यह सलाह है कि उन्‍हें अपने पोर्टफोलियो में इंडेक्‍स फंड और एक्टिवली मैनेजड इक्विटी फंड्स का बेहतर मिक्‍स रखना चाहिए. इससे रिस्‍क को कम करते हुए ज्‍यादा रिटर्न हासिल करने की उम्‍मीद रहती है.

Tracking Error पर जरूर गौर करें

निगम का कहना है कि इन स्‍कीम्‍स में निवेश करने से पहले निवेशकों को ट्रैकिंग इरर (Tracking Error) के बारे में जरूर ध्‍यान देना चाहिए. ट्रेकिंग इरर दरअसल फंड और उसके बेंचमार्क के बीच वास्‍तविक परफॉर्मेंस का अंतर होता है. इसलिए अगर किसी इंडेक्‍स फंड में बहुत ही लो एक्‍सपेंश रेश्‍यो और ज्‍यादा ट्रेकिंग इरर है, तो हो सकता है वह फंड निवेश के आपके लक्ष्‍य को पूरा न कर पाए. इसलिए, इंडेक्‍स फंड्स के निवेशकों को सबसे कम ट्रेकिंग इरर वाली स्‍कीम्‍स को चुनना चाहिए.

सेबी के म्यूचुअल फंड रेगुलेशन के मुताबिक, इंडेक्स फंड के लिए एक्सपेंस रेश्यो डेली नेट एसेट के 1 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है. हालांकि, एक्टिवली मैनेज्ड फंडों की तुलना में इनमें लिक्विडिटी कम होती है. फिर भी आप इन्हें कभी भी बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं.

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इंडेक्‍स फंड किसके लिए बेहतर ऑप्‍शन

निगम का कहना है कि इंडेक्स फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर है, जो इक्विटी के रिटर्न का फायदा लेना चाहते हैं, लेकिन ज्यादा जोखिम नहीं उठाना चाहते. बाजार जब काफी वॉलेटाइल हो तो इन फंड्स में निवेश अच्‍छा ऑप्‍शन होता है. हालांकि, एक बात साफ करनी जरूरी है कि इंडेक्स फंड भी रिस्क फ्री नहीं होता है. अगर बाजार नीचे जाता है, तो आपका इंडेक्स फंड एनएवी भी नीचे जाएगा. ऐसी स्थिति में आप यहां से अपना पैसा दूसरे ऑप्‍शन में शिफ्ट कर सकते हैं.

निगम का कहना है, इंडेक्स फंड (Index Fund) का फायदा यह है कि इससे किसी एक शेयर में पैसा लगाने की बजाए इंडेक्स में शामिल शेयरों में लगाया जाता है. इसलिए पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करने का मौका मिल जाता है. अगर एक कंपनी के शेयर में कमजोरी आती है तो दूसरे में ग्रोथ से रिटर्न बैलेंस हो सकता है.

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां किसी भी तरह से निवेश की सलाह नहीं दी गई है. म्‍यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)

यूएनडीपी की मानव विकास सूचकाँक रिपोर्ट, नॉर्वे इस वर्ष भी सबसे ऊपर

मानव विकास सूचकाँक रिपोर्ट सभी देशों में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन के स्तर का आकलन कर तैयार की जाती है.

मानव विकास सूचकाँक रिपोर्ट सभी देशों में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन के स्तर का आकलन कर तैयार की जाती है.

यूएनडीपी की मानव विकास सूचकाँक रिपोर्ट, नॉर्वे इस वर्ष भी सबसे ऊपर

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने अपनी सालाना मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) रिपोर्ट जारी की है. पिछले साल की तरह इस बार भी संकेतक किसके लिए हैं? इस संकेतक किसके लिए हैं? सूची में नॉर्वे सबसे ऊपर रहा और उसके बाद आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड को जगह मिली.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में 189 देशों में मानव विकास सूचकांक (HDI) की सूची में भारत 131वें स्थान पर रहा, वहीं भूटान 129वें स्थान पर, बांग्लादेश 133वें स्थान पर, नेपाल 142वें स्थान पर और पाकिस्तान 154वें स्थान पर रहा.

PHDI को शामिल करने के बाद, 50 से अधिक देश ‘उच्च मानव विकास समूह’ से बाहर हो गए, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे जीवाश्म ईंधन और भौतिक पदचिह्न पर अत्यधिक निर्भर हैं.

भारत की राजधानी दिल्ली में, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के नज़रिये से ये रिपोर्ट जारी किये जाने के समय, भारत में यूएनडीपी की देश प्रतिनिधि, शोको नोडा ने कहा, “यह रिपोर्ट एकदम सही समय पर आई है. पिछले सप्ताह ही, जलवायु महत्वाकाँक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें शामिल देशों ने अपने कार्बन-पदचिन्ह घटाने के लिये प्रतिबद्धताएँ ज़ाहिर की हैं."

"अगर हम साथ मिलकर काम करें तो पृथ्वी को नष्ट किए बिना, प्रत्येक राष्ट्र के लिये मानव विकास में वृद्धि सम्भव है – यानि लम्बी आयु, अधिक शिक्षा और उच्च जीवन स्तर. ”

भारत सरकार में नीति आयोग के सदस्य, रमेश चन्द ने कहा, “इस वर्ष की रिपोर्ट एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उजागर कर रही है, जो लम्बे समय से चिन्ता का विषय है. मानव विकास की व्याख्या के सन्दर्भ में ये बात सामने आ रही है – कि आख़िर हम अपनी भावी पीढ़ी को कितना वंचित कर रहे हैं. रिपोर्ट में ऐसे समाधान प्रस्तुत किये गए हैं, जिनसे उत्सर्जन में 37% की कमी आएगी और इससे हमें जलवायु लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.”

प्रगति का नया स्वरूप

रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि जैसे-जैसे लोग और पृथ्वी ग्रह एक नए भूवैज्ञानिक युग, एंथ्रोपोसीन यानि मानव युग में प्रवेश कर रहे हैं, सभी देशों को प्रगति के अपने मार्गों को नया स्वरूप देना होगा. यह पूरी तरह से मनुष्यों द्वारा ग्रह पर बनायेएदबावों की जवाबदेही तय करके और बदलाव की राह में आने वाले शक्ति और अवसर के असन्तुलन को ख़त्म करके किया जा सकता है.

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने अपनी सालाना मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) रिपोर्ट जारी की

कोविड-19 महामारी दुनिया के सामने नवीनतम संकट है, लेकिन अगर मानव प्रकृति पर अपनी पकड़ नहीं छोड़ता, तो शायद यह अन्तिम संकट न हो.

समुद्र के स्तर में वृद्धि से ख़तरे के दायरे में आने वाले अधिकाँश लोग विकासशील देशों और विशेष रूप से एशिया और प्रशान्त में रहते हैं. पर्यावरणीय झटके पहले से ही दुनियाभर में जबरन विस्थापन का एक मुख्य कारण हैं, ऐसे में अनुमान यह है कि वर्ष 2050 तक दुनिया भर में 1 अरब से अधिक लोग विस्थापन का सामना कर सकते हैं.

समाधान तन्त्र

मानव विकास रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि सार्वजनिक कार्रवाई से इन असमानताओं का निदान सम्भव है – उदाहरण के लिये, इसमें प्रगतिशील कराधान और निवारक निवेश और बीमा के माध्यम से तटीय समुदायों की रक्षा करना शामिल है.

यह एक ऐसा क़दम है, जो दुनिया में समुद्र तटों पर रहने वाले 84 करोड़ लोगों के जीवन की रक्षा कर सकता है. लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिये ठोस संकेतक किसके लिए हैं? प्रयासों की ज़रूरत है, ताकि यह कार्रवाई मानव को पृथ्वी के ख़िलाफ़ न खड़ा कर दे.

भारत में संयुक्त राष्ट्र की देश प्रतिनिधि व संयोजक, रेनाटा डेज़ालिएन ने कहा, “मानव विकास सूचकाँक न केवल हमारी प्रगति दर्शाता है, बल्कि उन क्षेत्रों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है, जिन पर अधिक ध्यान देने और जिन्हें अधिक संसाधन व हिमायत की ज़रूरत है.”

“जलवायु परिवर्तन स्पष्ट रूप से हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनकर उभर रहा है, और इस वर्ष का मानव विकास सूचकाँक इसी बात पर केन्द्रित है कि मानव विकास जलवायु संकट से कैसे जुड़ा है."

"यह संयोजन हमें अपनी जीवन शैली, व्यवहार और निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिये मजबूर करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह युग हमें गर्त में न ढकेल दे. यह दुनिया भर के देशों के उदाहरण प्रस्तुत करता है कि हममें से प्रत्येक उनसे कैसे प्रेरणा ले सकते हैं.”

रिपोर्ट के आधार पर, यूएनडीपी-भारत ने विकास के जटिल मुद्दे के प्रबन्धन के लिये प्रकृति, प्रोत्साहन और सामाजिक मानदण्डों के तीन स्तम्भों के आधार पर क्षेत्र के लिये समाधान तन्त्र प्रस्तावित किया है.

इनमें से कुछ हैं - तटीय झाड़ियों का संरक्षण, सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन और एकल उपयोग प्लास्टिक का प्रयोग घटाना. रिपोर्ट में राष्ट्रीय सौर मिशन और भारत द्वारा अपनाए गए महत्वाकाँक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का भी उल्लेख है.

रिपोर्ट के मुताबिक, मानव विकास के अगले मोर्चे में, सामाजिक विकास, मूल्यों और वित्तीय प्रोत्साहनों में आवश्यक बदलाव लाते हुए, प्रकृति के ख़िलाफ़ न जाकर, प्रकृति के साथ सुलह में काम करने की आवश्यकता होगी.

वैश्विक भुखमरी सूचकांक में पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका से भी पिछड़ा भारत; जानें- कितने नंबर पर पहुंचा?

भूख और कुपोषण पर नजर रखने वाले ग्लोबल हंगर इंडेक्स की वेबसाइट ने शनिवार को यह जानकारी दी कि चीन, तुर्की और कुवैत सहित 17 देशों ने 5 से कम जीएचआई स्कोर के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया है.

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वैश्विक भुखमरी सूचकांक में पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका से भी पिछड़ा भारत; जानें- कितने नंबर पर पहुंचा?

भारत 121 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2022 में 101 से 107वें स्थान पर खिसक गया है. अब इस सूचकांक में पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका भी भारत से आगे हो गया है.

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कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 8 साल में 2014 के बाद से हमारा स्कोर खराब हुआ है. उन्होंने ट्विटर पर पूछा, "माननीय प्रधान मंत्री कब बच्चों के बीच कुपोषण, भूख और लाचारगी जैसे वास्तविक मुद्दों का समाधान करेंगे?"

When will the Hon'ble PM address real issues like malnutrition, hunger, and stunting and wasting among children?

22.4 crore people in India are considered undernourished

India's rank in the Global Hunger Index is near the bottom -- 107 out of 121 countries

— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 15, 2022

आयरिश सहायता एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ़ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए इस रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को "गंभीर" करार दिया गया है.

वर्ष 2021 में भारत 116 देशों की सूची में 101 स्थान पर था लेकिन इस बार 121 देशों की लिस्ट में भारत छह अंक लुढ़ककर 107वें नंबर पर पहुंच गया है. इसके साथ ही भारत का जीएचआई स्कोर भी गिर गया है - 2000 में यह 38.8 था जो 2014 और 2022 के बीच 28.2 - 29.1 के बीच पहुंच गया है.

भारत की रैंकिंग गिरने के बाद सरकार ने पिछले साल इस रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स की गणना के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पद्धति अवैज्ञानिक है.

इंडेक्स जारी करने वाले संगठन के मुताबिक, श्रीलंका 64, नेपाल 81, बांग्लादेश 84 और पाकिस्तान 99 वें नंबर पर है. दक्षिण एशिया में केवल अफगानिस्तान ही भारत से पीछे है. अफगानिस्तान इस इंडेक्स में 109 नंबर पर है. गौर करने वाली बात यह है कि इस इंडेक्स में सूडान, इथोपिया, रवांडा, नाइजीरिया, केन्या, गाम्बिया, नामीबिया, कम्बोडिया, म्यांमार, घाना, इराक, वियतनाम, लेबनान, गुयाना, यूक्रेन और जमैका जैसे देश भी भारत से कहीं ऊपर हैं.

ब्याने से पहले पशु क्या संकेत देते हैं ? कैसे निकालें पशु के ब्याने का सही समय ?

पशुओं में ब्याने के संकेत

डेरी किसानों के लिए यह जरुरी है की वह पशुओं के व्यवहार को समझे ताकि वह आसानी से उनकी समस्याओं को जानकर उनका निदान कर पाए | ब्याने की अवस्था को जानना पशुपालकों के संकेतक किसके लिए हैं? लिए संकेतक किसके लिए हैं? बहुत जरुरी है | सभी पशु यदि वह सामान्य अवस्था में नहीं है तो वह संकेतों के माध्यम से बताता है | विभिन्न अवस्थाओं में से ब्याने से पूर्व भी पशु कुछ संकेत देते हैं |मादा पशुओं ब्याने के संकेतों को समझने से पशुपालक को या जानने में मदद मिलती है कि पशु चिकित्सा सहायता की कब आवश्यकता होगी। ब्याने के संकेतों को मूल रूप से 3 अवस्थाओं से गुजरती है

  1. ब्याने से पहले के संकेत (ब्याने से 24 घंटे पहले)
  2. ब्याना
  3. गर्भनाल/जेर का निष्कासन करना

ब्याने से पहले पशु क्या संकेत देते हैं

मादा पशुओं में ब्याने से पूर्व निम्न लक्षण दिखने लगते हैं | इन संकेतों को जान आप समझ सकते ही आप समझ सकते हैं की पशु जल्द ही ब्याने वाला है |

  • यदि पशु के योनि द्वारा से स्वच्छ श्लेष्मा का रिसाव हो रहा हो और थनों का दूध से भर जाना प्रारंभ हो जाता है इसे ही पशु के ब्याने की शूरूआत के आसन्न लक्षण हैं।
  • समूह से अलग रहने की कोशिश करता है।
  • ऐसे समय में पशु की भूख खत्म हो जाती है और वह खाने में दिलचस्पी नहीं लेता |
  • पशु बेचैन होता है और पेट पर लातें मारता है या अपने पार्श्व/बगलों को किसी चीज से रगड़ने लगता है।
  • श्रोणि स्नायु/पीठ की मांशपेशियां ढीली पड़ जाती है जिस से पूँछ ऊपर उठ जाती है।
  • योनि का आकार बड़ा एवं मांसल हो जाता है।
  • संकेतक किसके लिए हैं?
  • थनों संकेतक किसके लिए हैं? में दूध का भराव ब्याने के 3 सप्ताह पहले से लेकर ब्याने के कुछ दिन बाद तक हो सकता है।
  • बच्चा जैसे-जैसे प्रसव की स्थिति में आता है, वैसे-वैसे पशु के पेट का आकार बदलता है।

ब्याने के दिन का पता लगाना

यदि आपको यह पता करना है की पशु (गाय या भैंस ) का ब्याना का सही समय क्या है तो आप इस तरह से निकाल सकते हैं |

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