वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो सोर्स: @SANDHUTARANJITS)

रुपया गिरकर 70 के नीचे, अब समझिए किस पर कितना असर

रुपए ने 70 रुपए प्रति डॉलर का मार्क छू लिया है और ये रिकॉर्ड है क्योंकि रुपए इतना नीचे कभी नहीं गिरा. इस साल 9 प्रतिशत की कुल गिरावट के साथ रुपए के लिए सबसे खराब साल रहा है.

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भारतीय अर्थव्यवस्था जहां एक ओर तो तेज़ी से आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर रुपए की कमर टूटती जा रही है. इस समय डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है भारत में एक अजीब सी स्थिति‍ पैदा हो गई है जहां अर्थव्यवस्था को रुपया कमजोर बना सकता है. रुपए ने 70 रुपए प्रति डॉलर का स्‍तर छू लिया है और ये रिकॉर्ड है. क्योंकि रुपए इतना नीचे कभी नहीं गिरा. इस साल 9 प्रतिशत की कुल गिरावट के साथ रुपए के लिए सबसे खराब साल रहा है. 70.08 का आंकड़ा रुपए ने मंगलवार के दिन छुआ और एक दिन में इतनी गिरावट 2013 के बाद पहली बार हुई है.

रुपया इतना नीचे गिर गया कि कांग्रेस ने इसके लिए ट्वीट कर मोदी सरकार की चुटकी ली.

पर क्या वाकई ये सरकार की किसी नीति की वजह से हुआ है?

क्यों बने ऐसे हालात?

तुर्की में आर्थिक संकट की वजह से वहां की करंसी लीरा काफी कमजोर हुई है. सोमवार को भी लीरा में कमजोरी बढ़ी थी, जिससे बैंकिंग शेयर टूट गए. रुपया सोमवार को ही 69.93 का रिकॉर्ड छू चुका था और मंगलवार को 70 का आंकड़ा पार कर लिया. लीरा का कमजोर होना ग्लोबल मार्केट पर असर डालने के लिए काफी था. यूरोपीय करंसी में भी स्लोडाउन आने से अन्य करंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई. डॉलर इंडेक्स 13 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया और यही कारण है कि रुपया और कमजोर हो गया.

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रुपए का 70 का आंकड़ा छूना भारत के लिए अच्छा भी है और बुरा भी

कमजोर रुपए के कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की महंगाई काबू में रखने वाली सभी कोशिशें कमजोर पड़ जाएंगी. उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली आरबीआई की मॉनिटेरी पॉलिसी कमेटी ने इस साल दो बार इंट्रेस्ट रेट बढ़ाए ताकि वो बढ़ती कीमतों को काबू में कर सकें. इसके अलावा, विदेशी रिजर्व को भी देखा जाता रहा ताकि देश में हालात और न बिगड़ जाएं.

अर्थव्यवस्था को थोड़ी राहत महंगाई से ऐसे है कि पिछले 9 महीने में 4.17 प्रतिशत ही महंगाई रह गई है और ये स्तर 9 महीने में सबसे कम है. यानी कुछ हद तक देश के हालात सुधरे हुए हैं, लेकिन अगर हम रुपए की हालत की बात करें तो अभी भी खतरा टला नहीं है. फैक्टर LLC के सीईओ पीटर ब्रांडिट का कहना है कि रुपया अभी और गिरेगा. इसके गिरने की गुंजाइश ज्यादा है. उनके अनुसार भारतीय रुपए 80 रुपए का मार्क भी छू सकता है. ऐसा तब हो सकता है जब 17 रुपए का मार्क रुपया पार कर गए. हालांकि, ये सिर्फ अनुमान है, लेकिन ये अभी लोगों को डराने के लिए काफी है.

रुपया सस्ता होने पर लोगों को क्या नुकसान होगा..

रुपया डॉलर के मुकाबले अगर सस्ता हो जाएगा यानी रुपए के दाम डॉलर के आगे गिर जाएंगे (जैसा की अभी हो रहा है) तो आम भारतीयों को कई तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.

डॉलर के मुकाबले सस्ते (कमजोर) रुपए का मतलब है कि आयात महंगा होगा. कुछ ऐसे इम्पोर्ट हैं जिन्हें गलती से भी बंद नहीं किया जा सकता है जैसे तेल (पेट्रोल, डीजल, पेंट्रोलियम प्रोडक्ट्स, क्रूड ऑयल आदि). तेल भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा असर डालता है. अगर रुपया गिरता है तो तेल का महंगा होना तय है क्योंकि भारत 80% तेल की खपत दूसरे देशों से आयात कर पूरी करता है.

जैसे ही तेल महंगा होगा वैसे ही सब्जियों और अन्य सामग्रियों के दाम भी बढ़ जाएंगे. इम्पोर्टेड आइटम या ऐसे आइटम जिसमें कोई इम्पोर्टेट सामान लगता हो जैसे कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, कार आदि महंगी हो जाएंगी. हर वो इंडस्ट्री जो आयात पर निर्भर करती है उसपर असर पड़ेगा.

क्या बेहतर होगा इस कंडीशन से.

कमजोर रुपए का मतलब है कि आयात तो महंगा होगा, लेकिन निर्यात के लिए ये अच्छा है. हर एक्सपोर्ट आधारित इंडस्ट्री को कमजोर रूपए से फायदा होगा. जैसे कि आईटी इंडस्ट्री, फार्मा इंडस्ट्री आदि. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन इंडस्ट्री का रेवेन्यू डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है अधिकतर विदेशों से आता है.

कुल मिलाकर रुपया कमजोर होने से नुकसान ज्यादा होगा जो आम लोगों को सबसे ज्यादा असर करेगा.

इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले 78.29 हुई कीमत

इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले 78.29 हुई कीमत

भारतीय रुपये में गिरावट का दौर लगातार जारी है। सोमवार को इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे की गिरावट दर्ज की गई और इसी के साथ यह अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सुबह बाजार खुलने पर भारतीय रुपये ने 78.20 से शुरूआत की, लेकिन कुछ ही देर में यह नीचे गिरते हुए 78.29 के भाव पर पहुंच गया। बता दें कि शुक्रवार को भारतीय रुपया 77.93 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

शुक्रवार को भारतीय रुपये में आई थी 19 पैसे की गिरावट

बता दें कि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 19 पैसे की भारी गिरावट के साथ 77.93 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। उसे रुपये का सबसे निचला स्तर माना गया था, लेकिन सोमवार को स्थिति और खराब हो गई और रुपये ने पहली बार 78 के स्तर के स्तर को पार कर लिया। डॉलर की मजबूती और रुपये के गिरते मूल्य का भारतीय बाजार सहित निवेशकों पर बुरा असर पड़ा है।

उच्चतम स्तर पर पहुंचा डॉलर का मूल्य

रुपये में गिरावट के बीच अमेरिकी डॉलर सोमवार को 0.4 प्रतिशत और मजूबत होते हुए 135 येन के साथ 20 साल के उच्चतर स्तर के करीब पहुंच गया है। बता दें कि साल 2002 के डॉलर का मूल्य 135.20 येन के उच्चतम स्तर पर था।

निवेशकों पर पड़ रहा है बुरा असर

विदेशी मुद्रा कारोबारियों का मनना है कि कमजोर एशियाई मुद्राएं, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट और विदेशी पूंजी के लगातार बाहर जाने से भी निवेशकों पर बुरा असर पड़ रहा है। अमेरिकी मुद्रास्फीति के चार दशक के उच्च स्तर पर पहुंचने के डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है बाद फेडरल रिजर्व के कड़े होने की उम्मीदों ने रुपये पर खासा दबाव डाला है। गत मार्च के बाद से रुपया लगातार गिर रहा है। मार्च में पहली बार रुपया डॉलर के मुकाबले 77 रुपये पर पहुंचा था।

क्यों गिर रही है रुपये की कीमत?

भारतीय रुपये की कीमत गिरने के कई कारण है। इसका एक अहम कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है। रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतों जैसी वजहों से सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर में निवेश बढ़ा है। इसके अलावा भारत से विदेशी निवेश के जाने और घरेलू बाजार में विदेशी निवेश के कम होने का असर भी पड़ा है। अक्टूबर 2021 से विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 3.45 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है।

RBI के प्रयासों को नहीं मिल रही सफलता

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है, हालांकि उसके सारे प्रयास विफल रहे हैं। 8 जून को ही RBI ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी और अब ये 4.90 प्रतिशत हो गई है। विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल के कारण यह पहली बार 600 अरब डॉलर से नीचे पहुंच गया है। इसके बावजूद रुपये की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है।

न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

रुपये के कमजोर होने का मतलब है कि अब देश को विदेश से पहले जितना माल खरीदने पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ेगा। आयातीत सामान के महंगा होने का सीधा असर लोगों की जेब पर भी पड़ेगा। इसी तरह महंगाई बढ़ने से रेपो रेट में भी इजाफा होगा और बैंकों से मिलने वाला ऋण महंगा हो जाएगा। इसके अलावा रुपये से इक्विटी बाजारों में तेज गिरावट नजर आती है और शेयर तथा इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में कमी आती है।

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वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुपये में गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर निरंतर मजबूत हो रहा है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो सोर्स: @SANDHUTARANJITS)

अमेरिका दौरे पर गईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉलर के मुकाबले रूपये की गिरती कीमत पर बयान दिया, जिस पर विपक्ष के नेताओं ने जमकर वित्त मंत्री की खिंचाई की। सोशल मीडिया पर निर्मला सीतारमण के इस बयान की खूब चर्चा हुई। अब आप नेता और राज्यसभा सांसद ने भी वित्त मंत्री के बयान का जिक्र कर तंज कसा है।

संजय सिंह ने निर्मला सीतारमण पर कसा तंज

एक सभा को संबोधित करते हुए संजय सिंह ने कहा है कि मोदी जी से चार गुना आगे वित्त मंत्री जी निकल गई हैं। रूपये की गिरवाट पर उन्होंने कहा कि रुपया गिर नहीं रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। मतलब वो कह रही हैं कि पेट्रोल महंगा नहीं हुआ, डीजल महंगा नहीं है, दवाई महंगी नहीं हुई है। उन्होंने तो बस महंगाई बढ़ाई है। अगर आप महंगाई नहीं झेल पा रहे हैं तो ये आपकी कमी है।

“हम रो नहीं रहे बल्कि आंसू रोकने की क्षमता कम ही गई है”

संजय सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री का ये ज्ञान सुनकर हमने कहा कि हां, वित्त मंत्री जी, हम रो भी नहीं रहे हैं बस हमारे अन्दर आंसू रोकने की क्षमता कम हो गई है। संजय सिंह ने कहा कि ऐसे ज्ञानियों से छुट्टी ले लो मेरे भाई, इन्होंने देश को बर्बाद कर दिया है। संजय सिंह का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

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@sa_123456_as यूजर ने लिखा कि भ्रष्टाचार नहीं बढ़ा है। केवल रिश्वत लेने वालों की जनसंख्या बढ़ी है। दिल्ली और पंजाब में डीजल-पेट्रोल से राज्य सरकार अगर अपना कर हटा दे तो खुद 20/25 रुपया सस्ता हो जाएगा। @nirdesh_samant यूजर ने लिखा कि पूरा विश्व मंदी की तरफ जा रहा है, कुछ देशों में मुद्रास्फीति दर 50-60% है। @Parveen03178391 यूजर ने लिखा कि अगर उत्तर प्रदेश में बाजरा ₹18 किलो है और वही बाजरा दिल्ली में ₹30 किलो बिकता है तो बताओ कौन चोर है?

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर हैं। इसी दैरान वह वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुपये में गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर निरंतर मजबूत हो रहा है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये की गिरावट को थामने के लिए सबसे अच्छे उपाय कर रहा है।

Apple vs Twitter: iPhone से ट्वीट करना पड़ेगा महंगा, 11 डॉलर हो सकती है Twitter Blue की फीस, लेकिन सस्ते का भी है जुगाड़

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Moneycontrol 20 घंटे पहले Moneycontrol Hindi

© Moneycontrol द्वारा प्रदत्त Apple vs Twitter: iPhone से ट्वीट करना पड़ेगा महंगा, 11 डॉलर हो सकती है Twitter Blue की फीस, लेकिन सस्ते का भी है जुगाड़ Apple vs Twitter: आईफोन (iPhone) यूजर्स को तगड़ा झटका लगने वाला है। दिग्गज माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter) की योजना आईफोन यूजर्स के लिए ट्विटर ब्लू (Twitter Blue) की कीमत बढ़ाने की है। इस सब्सक्रिप्शन प्रोडक्ट की कीमत अभी 7.99 डॉलर (657.31 रुपये) है और अब ट्विटर की योजना इसे बढ़ाकर 11 डॉलर (904.94 रुपये) करने की है। इसका मतलब हुआ कि अगर ट्विटर ब्लू के सब्सक्रिप्शन के लिए ट्विटर के आईफोन ऐप से फीस चुकाते हैं तो 11 डॉलर देना होगा और अगर वेबसाइट से सब्सक्रिप्शन फीस देते हैं तो सात डॉलर (575.87 रुपये)। IPO News: Mercedes और Honda की कार बेचने वाली कंपनी का अगले हफ्ते खुलेगा आईपीओ, ग्रे मार्केट से मिल रहे मजबूत संकेत Apple के खिलाफ Twitter का कदम ट्विटर का यह कदम डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है एप्पल (Apple) के फैसले के विरोध में दिख रहा जिसके तहत आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने आईओएस पर ऐप के जरिए यूजर्स के पेमेंट करने पर 30 फीसदी कटौती का फैसला लिया है। ऐप के भीतर खरीदारी के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपर्स से 30 फीसदी फीस वसूलने के एप्पल के फैसले के खिलाफ ट्विटर के मालिक एलॉन मस्क (Elon Musk) ने ट्वीट की एक सीरीज पोस्ट की थी। उन्होंने एक मीम भी पोस्ट किया था जिसका मतलब यह था कि वह कमीशन देने की बजाय एप्पल के साथ लड़ाई लड़ना चाहेंगे। गुजरात में BJP की दमदार वापसी के रुझानों पर झूमा बाजार, मजबूती के साथ ऊपर चढ़ रहे Sensex-Nifty वेबसाइट के लिए Twitter Blue का सब्सक्रिप्शन सस्ता क्यों आईफोन पर ट्विटर ऐप के जरिए ट्विटर ब्लू का सब्सक्रिप्शन 11 डॉलर का हो सकता है लेकिन वेबसाइट के जरिए सब्सक्रिप्शन लेने पर इसका चार्ज नॉर्मल 7.99 डॉलर से भी कम 7 डॉलर हो सकता है। इसकी वजह है कि कंपनी चाहती है कि यूजर्स आईफोन पर ऐप की बजाय वेबसाइट के जरिए साइन इन करें। हालांकि न्यूज एजेंसी रायटर्स को सूत्रों ने इसकी जानकारी नहीं दी कि एंड्रॉयड के लिए भी प्राइसिंग में बदलाव की कोई योजना है या नहीं।

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2020 में रिलायंस ने जियोमार्ट (JioMart) लॉन्च किया. इस ग्रोसरी ऑर्डर करने वाले ऐप ने मात्र 2 वर्षों में ही ऑनलाइन बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है.

जियोमार्ट की मौजूदगी ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़न और फ्लिपकार्ट (वालमार्ट) के लिए खतरे की घंटी है. फिलहाल, बेशक भारत के ई-कॉमर्स मार्केट में इनसे बड़ा कोई प्लेयर नहीं है, लेकिन जियोमार्ट की रणनीति कुछ ऐसी है कि इन दोनों को चिंतित होने की जरूरत है.

रिलायंस के ई-कॉमर्स में उतरने के पीछे वह आंकड़े हैं, जो बताते हैं कि अगले 4 वर्षों में भारत का ई-कॉमर्स सेक्टर 200 बिलियन डॉलर का हो जाएगा. ग्लोबल फर्म मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि 2026 में भारत की यह महत्वपूर्ण इंडस्ट्री 200 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी. मतलब साफ है कि ऑनलाइन बाजार पर देश के लोगों का भरोसा बढ़ा है और ज्यादा से ज्यादा लोग इसे अपना रहे हैं और अपनाते रहेंगे.

कैसे अलग है JIOMART

जब देश लॉकडाउन में था, उसी दौरान रिलायंस ने जियोमार्ट लॉन्च किया था. धीरे-धीरे अपने ई-कॉमर्स पोर्टल को बढ़ाया. अब यह एक पूरा ई-कॉमर्स पोर्टल बन चुका है, जिस पर घरेलू सामान से लेकर फैशन और इलेक्ट्रॉनिक्स तक सब सामान मौजूद है.

फ्लिपकार्ट और अमेज़न दोनों थर्ड पार्टी वेंडर्स पर निर्भर हैं. मतलब विक्रेता इन प्लेटफॉर्म से बिलकुल अलग हैं. अगर बात करें जियोमार्ट की तो इस पर ज्यादातर उत्पाद रिलायंस के अपने ब्रांड्स के हैं. दावा है कि पूरे भारत में मौजूद 15,000 रिलायंस रिटेल स्टोर्स से माल लोगों के घरों तक पहुंचाया जाता है.

ऑफलाइन-ऑनलाइन हाइब्रिड ई-कॉमर्स मॉडल

JioMart को अपने ऑफलाइन-ऑनलाइन हाइब्रिड ई-कॉमर्स मॉडल के साथ हाल ही में सफलता पाई है. कंपनी ने पहली बार अपने प्लेटफॉर्म पर 23 सितंबर से दिवाली सेल का आयोजन किया और देखा कि सप्ताह के दौरान बिक्री 2.5 गुना बढ़ गई. हालांकि JioMart की बाजार हिस्सेदारी बहुत कम रही, लेकिन यह शुरुआत कंपनी की जड़ें जमाने में कारगर रही. सितंबर के पहले सप्ताह में फ्लिपकार्ट और अमेज़ॅन के स्थापित प्लेटफार्मों ने 88 फीसदी की बाजार हिस्सेदारी पाई थी.

अगली सेल होगी धमाकेदार

रेस्ट ऑफ वर्ल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेडसीर के मार्केट रिसर्चर संजय कोठारी ने कहा, “स्वीकार्यता और उपयोग के दृष्टिकोण से, भारतीय ग्राहकों ने JioMart का स्वागत किया.” उन्होंने आगे कहा, “इस साल, JioMart को एक अच्छे आधार वाले मंच के रूप में स्थापित करने और उस संदेश को अपने उपयोगकर्ताओं को स्पष्ट रूप से पहुंचाने पर ध्यान दिया गया. जब अगला त्योहार (सेल) आएगा, तो वे इस क्षेत्र के बड़े खिलाड़ियों में से एक बनने के लिए अच्छी स्थिति में होंगे.”

Amazon रहा संघर्षरत, JIOMART बढ़ा

2 साल की छोटी-सी अवधि में ही JioMart ने ग्रोसरी कैटेगरी में अपने पीयर्स को पीछे छोड़ दिया है. आज, JioMart भारत के 260 शहरों और कस्बों में प्रति दिन 600,000 डिलीवरी करता है. यह पूर्ति रिलायंस के अपने रिटेल स्टोर्स और पास-पड़ोस के मॉम-एंड-पॉप आउटलेट्स, जिन्हें किराना कहा जाता है, के माध्यम से कराई गई. किराना स्टोर्स ने 2020 में कुल उपभोक्ता खरीदा का 88 प्रतिशत हिस्सा सप्लाई किया.

रिलायंस किराना स्टोर्स को डिजिटाइज़ करने के लिए पॉइंट-ऑफ-सेल (पीओएस) मशीनें किराए पर देता रहा है. रिसर्च फर्म बर्नस्टीन (Bernstein) ने 30 अगस्त के एक नोट में JioMart की सफलता को स्वीकार किया. इस फर्म ने अपने नोट में लिखा- जहां Amazon ने अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए संघर्ष किया, वहीं रिलायंस ने ऑनलाइन किराना श्रेणी में अग्रणी बनने के लिए अपने ई-कॉमर्स ऑपरेशन्स को बढ़ाया.

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