310.00 का लक्ष्य स्तर

वर्ष के अनुसार भारत में गेहूं का उत्पादन - Olymp Trade - विशेषज्ञ समीक्षा - 24.05.2022

क्या गेहूं की कीमतें भविष्य में भी ऐसे ही बढ़ी रहेंगी

दुनिया भर में तमाम चीजों की कीमतें हाल में दोगुनी तक बढ़ गई हैं जिनमें गेहूं भी है. कीमतों में वृद्धि के लिए यूक्रेन पर रूस का हमला भी जिम्मेदार है. डीडब्ल्यू ने गेहूं की कीमतों में तेजी का कारण जानने की कोशिश की है.

फरवरी के अंत तक कुछ लोगों को गेहूं के व्यवसाय में काफी लाभ दिख रहा था. पिछले कई साल से वैश्विक स्तर पर इसकी कीमत 200 यूरो प्रति टन के आस-पास बनी हुई थी लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने सब कुछ बदल दिया. रूस के यूक्रेन पर हमले की वजह से गेहूं की वैश्विक कीमत 400 यूरो प्रति टन तक पहुंच गई है, यानी लगभग दोगुनी हो गई है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, खासकर गरीब देशों के लिए जो कि अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा खाने-पीने की चीजों पर ही खर्च करते हैं.

दुनिया भर में करीब 785 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन होता है और इसका सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही वैश्विक बाजार में बेचा जाता है. ज्यादातर गेहूं, उन देशों के नागरिक अपने दैनिक फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग कौन करता है? उपभोग में खर्च करते हैं जहां इसका उत्पादन होता है. गेहूं की गुणवत्ता और कीमत क्षेत्रों के हिसाब से अलग-अलग होती है.

वैश्विक विपणन के दो प्लेटफॉर्म

हालांकि गेहूं आमतौर पर एक स्थानीय उत्पाद है लेकिन इसकी कीमतें कमोडिटी एक्सचेंज नाम के उन वैश्विक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स पर तय होती हैं जो खासतौर पर इसीलिए बने होते हैं. क्लॉपेनबर्ग स्थित कृषि उत्पादों के विपणन में वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी काक टर्मिनहांडेल से जुड़े वोल्फगांग साबेल कहते हैं, "दुनिया भर में गेहूं के विपणन से जुड़ी दो महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म हैं- शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड यानी सीबीओटी और पेरिस स्थित यूरोनेक्स्ट. ये दोनों एक्सचेंज वैश्विक मानकों के आधार पर कीमतें तय करने के लिए नियम और शर्तें बनाते हैं. कीमतें सिर्फ मांग और पूर्ति के आधार पर तय होती हैं.”

मानकों के आधार पर कीमतें तय करने का मतलब यह है कि वस्तु की मात्रा और गुणवत्ता को खासतौर पर ध्यान में रखा जाता है और कीमतें तय करने में इन दोनों का कड़ाई से पालन किया जाता है. मसलन, गेहूं की कीमत का निर्धारण इन मापदंडों के आधार पर होता है, यूरोपीय संघ में पैदा होने वाले 50 टन गेहूं जिसमें 11 फीसद प्रोटीन हो और नमी की मात्रा अधिकतम 15 फीसद हो. गेहूं के इस मानक के आधार पर दुनिया भर में उसके विपणन का आधार तय होता है.

बीमा और अनुमान

वैश्विक बाजार के लिए कीमतें निर्धारित करने के अलावा सीबीओटी और यूरोनेक्स्ट गेहूं के व्यापार में फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग कौन करता है? लगी कंपनियों और लोगों को कई और सुविधाएं भी देती हैं ताकि उन्हें बाजार की अनिश्चितताओं की वजह से नुकसान न होने पाए. साबेल इसे एक उदाहरण के जरिए समझाते हैं. वो कहते हैं, "मान लीजिए कि कोई मिल एक पाउंड यानी पांच सौ ग्राम के आटे के बहुत सारे पैकेट बनाने और उन्हें सितंबर तक देने के लिए किसी सुपरमार्केट चेन से डील कर रही है. सितंबर में गेहूं की कीमत क्या होगी, यह किसी को पता नहीं है. लेकिन इन एक्सचेंज के जरिए गेहूं खरीद के लिए एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदा जा सकता है.”

गेहूं की आपूर्ति पर वैश्विक संकट बाजारों में दिख रहा हैतस्वीर: Nicolas Armer/picture alliance/dpa

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट वो कॉन्ट्रैक्ट हैं जो सीबीओटी और यूरोनेक्स्ट के जरिए इसलिए किए जाते हैं ताकि भविष्य में किसी वस्तु की कीमतों के घटने-बढ़ने का असर न पड़े. इस स्थिति में मिल कॉन्ट्रैक्ट कर लेगी लेकिन गेहूं वो तब खरीदेगी जबकि उसे आटे के पैकेट डिलीवर करने हैं. मिल को गेहूं की वही कीमत देनी होगी जो कॉन्ट्रैक्ट करते समय थी. सितंबर में यदि कीमत बढ़ भी जाती है, तो भी उस पर कोई असर नहीं होगा.

गणना का सवाल

साबेल बताते हैं कि कीमतों में उछाल जैसी स्थिति से बचने के लिए किसान भी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स का फायदा ले सकते हैं. मसलन, यदि कोई किसान तीन सौ यूरो का कॉन्ट्रैक्ट करता है और गेहूं की कीमत अचानक चार सौ यूरो हो जाती है तो किसान गेहूं को चार सौ यूरो में बेच सकता है लेकिन सौ यूरो उसे उस व्यक्ति या एजेंसी को चुकाने होंगे जिससे उसने फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट किया होगा.

लेकिन यह घाटा कई बार तब फायदे में तब्दील हो सकता है जब गेहूं की कीमत घट जाती है. यदि यही कीमत घटकर दो सौ यूरो पर पहुंच गई तो फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के जरिए उसे सौ यूरो की भरपाई हो जाएगी.

विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति - forex hedging strategy

विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति चार भागों फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग कौन करता है? में विकसित होती है, जिसमें विदेशी मुद्रा व्यापारी के जोखिम जोखिम, जोखिम सहिष्णुता के विश्लेषण और रणनीति की वरीयता ये घटक विदेशी मुद्रा बचाव बनाते हैं: 1. जोखिम का विश्लेषण: व्यापारी को यह पता होना चाहिए कि मौजूदा या प्रस्तावित स्थिति में वह किस

प्रकार के जोखिम (जोखिम) ले रहा है। वहां से, व्यापारी को यह अवश्य पहचानना चाहिए कि इस खतरे को अनफिट फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग कौन करता है? करने पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, और यह निर्धारित करें कि मौजूदा विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार में जोखिम उच्च या निम्न है या नहीं।

2. जोखिम सहिष्णुता निर्धारित करें: इस कदम में, व्यापारी अपने जोखिम जोखिम स्तर का उपयोग करता है,

यह निर्धारित करने के लिए कि स्थिति के जोखिम को कितना ढीला होना चाहिए। कोई भी व्यापार कभी शून्य जोखिम नहीं होगा; यह जोखिम लेने वाले जोखिम के स्तर को निर्धारित करने के लिए व्यापारी पर निर्भर है, और अधिक जोखिम को हटाने के लिए वे कितना भुगतान करने के इच्छुक हैं।

भारतीय गर्मी की लहर से वैश्विक गेहूं की कीमतें प्रभावित हुई हैं 24.05.2022

भारतीय गर्मी की लहर से वैश्विक गेहूं की कीमतें प्रभावित हुई हैं – आधिकारिक Olymp Trade ब्लॉग

भारत में बढ़ती गर्मी की लहरों से वैश्विक गेहूं की कीमतों को बढ़ावा मिलेगा। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। पिछले 122 सालों में इस बार की गर्मी देश के लिए सबसे गर्म वर्ष है। गर्मी की लहर के दौरान, कई आर्थिक क्षेत्रों में श्रमिक उत्पादकता में कमी देखी गई है। यह विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में है। वैश्विक स्तर पर, हर साल कुल कार्य समय का 2% गवांने का अनुमान है क्योंकि इस समय काम करने के लिए बहुत गर्मी होती है या श्रमिकों को धीमी गति से काम करना पड़ता है। इसलिए, उच्च तापमान गेहूँ पैदावार को सिमित करती है। 23 डिग्री सेल्सियस के औसत तापमान से प्रत्येक एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से गेहूं की पैदावार में औसतन 10% की कमी आती है।

गेहूं की बढ़ती कीमतों से आप कैसे लाभ प्राप्त कर सकते हैं?फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग कौन करता है?

कमोडिटी एक्सचेंजों में गेहूं का ट्रेड करना लाभदायक हो सकता है। ऐसा करने का एक तरीका गेहूं की कीमतों पर नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड में कारोबार करना है। दूसरा कॉल ऑप्शन खरीदना है या पुट ऑप्शन बेचना है और गेहूं पर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (अनुबंध) खरीदना है। यदि गेहूं की कीमत बढ़ती है तो इन सभी परिदृश्यों से लाभ होने की संभावना है। कमोडिटी फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग करना स्टॉक या इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग करने के समान हैं। नीचे दिए गए गेहूं के फ्यूचर्स चार्ट पर, कीमत एक अपट्रेंड में स्थित है और भविष्य में 1425.00 के उच्च स्तर को पुनः प्राप्त कर सकती है।

ITC लिमिटेड का स्टॉक मूल्य चार्ट - Olymp Trade - विशेषज्ञ समीक्षा - 24.05.2022

गेहूं की बढ़ती कीमतों में ट्रेड करने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्टॉक

ITC बाजार को मात दे सकती है। FMCG दिग्गज ITC आशीर्वाद आटा ब्रांड के तहत गेहूं का उत्पादन करता है, जो भारत में अपने उच्च गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। जब कम आपूर्ति के कारण गेहूं की कीमतें बढ़ती हैं, तो ITC को गेहूं की उच्च मांग से लाभ होने की संभावना है। इससे कंपनी की लाभप्रदता में सुधार हो सकता है। निम्न चार्ट पर, ITC के शेयर की कीमत एक मजबूत अपट्रेंड में है। यह 200-EMA से ऊपर कारोबार कर रहा है, यह 310.00-320.00 की सीमा तक पहुंचने के लिए ऊपर जा सकता है।

गेहूं का फ्यूचर्स चार्ट - Olymp Trade - विशेषज्ञ समीक्षा - 24.05.2022

पैसा छापने की मशीन है EQUITY DERIVATIVES (FUTURE & OPTION ) BASIC समझ लो बस कैसे

यु तो SHARE MARKET में बहुत से TOOLS है पर आज हम लोग बात करने वाले है। एक ख़ास TOOL की जिसका इस्तेमाल अगर सही तरीके से किया जाये तो ये किसी पैसे छापने की मशीन से काम फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग कौन करता है? नहीं है। बड़े बड़े फण्ड मैनेजर और एनालिस्ट इसका उसे करके गिरते मार्केट में भी पैसे कमाने के लिए करते है

डेरीवेटिव एक प्रकार का FINANCIAL CONTRACT (वित्तीय समझौता) होता है जो UNDERLYING ASSET यानी अन्तर्निहित संपत्तियों से अपना मूल्य प्राप्त करते है। DERIVATIVES , UNDERLYING ASSET की विस्तृत फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग कौन करता है? श्रृंखला पर आधारित हैं। UNDERLYING ASSET जैसे

Products in Derivatives Market

FUTURE

यह एक UNDERLYING ASSET जैसे शेयर ,सोना,चांदी बांड आदि। को खरीदने / बेचने के लिए दो पक्षों के बीच एक संविदात्मक समझौता है किसी विशेष मूल्य के लिए निश्चित भविष्य की तारीख जो CONTRACT की तारीख से पहले तय की जाती है जिसमे CONTRACT की दोनों पार्टिया डिलीवरी के समय कॉन्ट्रैक्ट की शर्तो को मानने के लिए बाध्य होती है

दो पार्टीया जो की A और B है। A , B से कोई वस्तु अगले महीने लेना चाहता है परन्तु उसे वह वस्तु आज के भाव पे चाइये तो A और B के मध्य एक CONTRACT होगा जो की पहले से निश्चित तारीख के लिए होगा। जिसके लिए B , A से कुछ एडवांस भी लेता है .यह फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट कहलाता है।

यदि मै सोचता हु। SBI शेयर के प्राइस आने वाले दिनों में और बढ़ सकते है तो मै SBI शेयर को FUTURE में BUY करूँगा और जब उसकी वैल्यू बढ़ती है तो उसे बेच कर मुनाफा कमाऊंगा। और यदि SBI के शेयर में गिरावट आ सकती है तो मै उसे पहले बेचूंगा और जब उसका भाव निचे आएगा तो खरीद कर मुनाफा कमाऊंगा इस प्रकार फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट हमें दोनों ही स्तिथि में मुनाफा कमाने में मदद करता है

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