ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में और आधिक जानने के लिए आप हमारी ट्रेडिंग अकाउंट की पोस्ट पढ़े जिसमे हम ने ट्रेडिंग अकाउंट क्या है और ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोले इसके बारे में पूरी जानकारी दी है.
ट्रेडिंग के टाइप
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हर बार जब आप Kite के माध्यम से ऑर्डर प्लेस करते हैं तब CNC,MIS और NRML प्रोडक्ट कोड का इस्तेमाल किया जाता है।
कैश एंड कैरी (CNC) का इस्तेमाल इक्विटी में डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के लिए किया जाता है। डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में,स्टॉक को आप जितनी दिन तक चाहें, उसे होल्ड कर सकतें हैं। अगर आप CNC प्रोडक्ट कोड का इस्तेमाल करते है, तब आपको कोई लीवरेज नहीं मिलेगा,और न ही आपकी पोजीशन को ऑटो स्क्वायर ऑफ किया जायेगा। आप CNC का इस्तेमाल करके कोई भी शॉर्ट पोजीशन नहीं ले पाएंगे। हालाँकि, आप इस प्रोडक्ट कोड का इस्तेमाल करके अपने होल्डिंग से स्टॉक को बेच सकते हैं।
Trading Kya Hai
ट्रेडिंग क्या है: Trading में हम शेयर मार्केट से शेयर को खरीदने और बेचने का काम करते है. जहाँ हम शेयर को stock exchange से कम price पर buy कर लेते है और उस शेयर की price high होने पर उसे sell कर देते है. इस प्रक्रिया को हम ट्रेडिंग कहते है.
ट्रेडिंग का मुख्य मकसद किसी भी वास्तु या सेवा को खरीद व बैच कर कम समय में लाभ कमाना होता है. यही कारण है कि Trading Share Market में सबसे ज्यादा कि जाती है और लोग हर रोज शेयर पर ट्रेडिंग करके हजारों और लाखों रूपये कमा लेते है.
Trading Kya Hoti Hai
What Is Trading in Hindi: Trading का मतलब Buy और Sell करना होता है जहाँ हम किसी भी चीज को कम भाव में खरीद लेते है और उसके बाद जब उसका भाव बढ़ जाता है तो उसे बैच देते है.
इस प्रकार कम पैसे में खरीदी गई चीज़ को जब ज्यादा दम में बेचा जाता है तो हमे उस पर कुछ पैसों का मुनाफा होता है जिसे हम ट्रेडिंग कहते है.
तो अगर आप Share पर ट्रेडिंग करके पैसे कमाना चाहते है तो सबसे पहले आपको शेयर मार्केट ट्रेडिंग को समझना होगा चलिए जानते है शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है ?.
Share Market Trading Kya Hai
शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है: शेयर मार्केट ट्रेडिंग, शेयर पर होने वाली ट्रेडिंग को कहते है. जब सुबह 9:15 AM पर शेयर मार्केट खुलती है तब ट्रेडर कम दाम में शेयर को खरीद लेते है.
और दोपहर के 3:30 PM के पहले शेयर को बेच देते है . क्योंकि शेयर मार्केट सुबह 9:15 AM पर खुलती है और 3:30 PM पर बंद हो जाती है. इस बीच ट्रेडर अपने ख़रीदे हुए शेयर पर अनुमानित मुनाफे को देख कर शेयर को बेच के मुनाफा कमा लेते है.
Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai
ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं: Trading तीन प्रकार की होती है जिसे हम Intraday Trading, Scalping Trading, Swing Trading कहते है. शेयर मार्केट में लोग इन्ही तीनो ट्रेडिंग की मदद से शेयर बाज़ार में पैसा लगाते है और रोज हजारों रूपए कमाते है.
Types of Trading
- Intraday Trading
- Scalping Trading
- Swing Trading
बड़ी तस्वीर देखने की कोशिश - ट्रेडर्स के फॉर्म
फंडामेंटल ट्रेडर्स इक्विटी ट्रेडर्स के फॉर्म हैं। इक्विटी ट्रेडिंग के मुख्य रूप निम्नलिखित हैं।
फंडामेंटल ट्रेडिंग - फंडामेंटल ट्रेडिंगी विभिन्न कंपनियों के फंडामेंटल विश्लेषण को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिंग में भाग लेते हैं। इसमें कॉर्पोरेट से जुड़े वास्तविक इवेंट्स और अर्निंग रिपोर्ट, अधिग्रहण, पुनर्गठन और / या स्टॉक विभाजन की उम्मीद से जुड़ी ख़बरें भी शामिल हैं।
स्विंग ट्रेडिंग - ये ट्रेडर एक तरह के फंडामेंटल ट्रेडर होते हैं जो सिंगल डे से अधिक की अवधि तक अपनी पोजीशन पर कायम रहते हैं। बड़ी संख्या में फंडामेंटल ट्रेडर्स दरअसल स्विंग ट्रेडिंग करते हैं। ऐसा इसलिए है कि कॉरपोरेट फंडामेंटल में बदलाव में आमतौर पर यदि कई सप्ताह नहीं तो कुछ दिन तो लगते ही है ताकि कीमत में उतार-चढ़ाव हो और ट्रेडर्स अच्छा मुनाफा कमा सकें।
फंडामेंटल डाटा और ट्रेडिंग की जानकारी
इक्विटी इन्वेस्टर आम तौर पर फंडामेंटल एनालिसिस के तहत अक्सर उपयोग किए जाने वाले सबसे फिनांशियल डाटा से परिचित हैं। इसमें अर्निंग प्रति शेयर, कैश फ्लो और रेवेन्यू आदि शामिल हैं।
क्वांटिटेटिव एलिमेंट के तौर पर इनमें वे आंकड़े शामिल हैं जो किसी कंपनी की अर्निंग रिपोर्ट, बैलेंस शीट और / या कैश फ्लो स्टेटमेंट से ज़ाहिर होते हैं। फिनांशियल रेशियो के रिजल्ट भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जिनमें इक्विटी पर ऋण और इक्विटी पर रिटर्न शामिल है।
फंडामेंटल ट्रेडर्स इस क्वांटिटेटिव जानकारी का उपयोग इस तरह करते हैं कि वे ट्रेडिंग के मौकों का पता लगा सकें। ये मौके अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन एक अच्छा उदहारण यह हो सकता है कि जब कोई कंपनी बाजार की उम्मीद से परे अर्निंग रिजल्ट करे।
फंडामेंटल फैक्टर्स जो ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के लिए सबसे अधिक ज़रूरी हैं, वे हैं एनालिस्ट अपग्रेड और डाउनग्रेड के साथ-साथ अर्निंग अनाउंसमेंट। हालांकि, दूसरों से पहले इस जानकारी को हासिल कर पाना कोई आसान काम नहीं है क्योंकि लाखों ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स इसी तरह के मुनाफे की तलाश में होते हैं।
निष्कर्ष
कई ट्रेडिंग स्ट्रेटेजिस्ट ट्रेड के लिए फैंसी मॉडल शामिल करते हैं जो पहले की घटनाओं से जुड़े होते हैं और जो एनालिस्ट अपग्रेड और डाउनग्रेड, अधिग्रहण, स्टॉक विभाजन और पुनर्गठन और अर्निंग अनाउंसमेंट पर आधारित होते हैं।
फंडामेंटल ट्रेडर्स स्टॉक की मौजूदा स्थिति और प्राइस मूवमेंट को ठीक से तय करने की स्थिति में हों, तभी मुनाफे वाला ट्रेड कर पाना संभव है।
Delivery Trading in Hindi
अब बात करते है, Delivery Trading कि दोस्तों Delivery Trading को Position Trading भी बोलते है, क्योंकि Position मतलब अपनी जगा फिक्स करना जैसे कि Intraday Trading हम एक दिन के लिए Trading कर सकते थे, ठीक वैसे ही Delivery Trading में हम अपने Stock को जो हमे Buy या Sell क्या है उसको हम होल्ड करके रख सकते है, कुछ टाइम के लिए जैसे एक हफ्ते के लिए यह एक महीने के लिए।
Delivery Trading में एक बहुत बड़ा चैलेंज यह होता कि trend को देखना और ग्राफ को फॉलो करना कि ग्राफ का कैसे बर्ताव है उस हिसाब से trading करना कि प्राइस बड़े गा यह कम होगा। यह सब ट्रेडर को सोचना पढता है, अगर ट्रेडर को लगता है कि उभरते ट्रेंड है तब ट्रेडर उस स्टॉक को बुय करता है, और ट्रेडिंग के टाइप इसी प्रकार अगर ट्रेडर को लगता है, कि स्टॉक अब निचे जाएगा तब ट्रेडर सेल्ल करता है। शेयर मार्किट एक बहुत ही बड़ा टॉपिक है और इसमें बहुत कुछ है कि ट्रेंड कैसे पता चलता है। इस ट्रेडिंग स्टाइल को बिगिनर्स भी इस्तमाल करते है, बाकि आपका डिसिशन है। So Keep Learing and then Earning Money
Short Sell Trading
Short Sell Trading के बहुत कि पॉपुलर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी। इस Short Sell Trading में अगर आपके पास शेयर नहीं है तो भी आप बेच सकते हो , कैसे बताता हूँ, दोस्तों अगर ट्रेडर को लाग रहा है, कि Stock Market Bearish रहे गयी, प्राइस और फॉल होगा, सो ट्रेडर इस टाइम पे अभी Short Position (Sell Shares) करके और जब ट्रेडर को लगे कि अब टारगेट पूरा हो गया मार्किट इदार से बड़ना स्टार्ट होगा तो उस टाइम पे ट्रेडर शेयर्स को Buy करके अपनी पोजीशन को Square off कर देदा है। इस ट्रेडिंग को बोलते है Short Sell Trading इसमें अपने शेयर Sell कर दिए High ट्रेडिंग के टाइप प्राइस पर और अपने शेयर करिदे Low प्राइस पर। इस ट्रेडिंग एक्सपीरियंस लोगो ही इस्तमाल करे थो बेटर रहे गए। बाकि आपका डिसिशन है।
दोस्तों जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, खरीदो आज और बेचो कल इसका मतलब अपने आज जो शेयर ख़रीदे अगर उनका प्राइस बाड़ क्या अगले दिन तो आप उनको ट्रेडिंग के टाइप सेल्ल करके अपना प्रॉफिट बना सकते हो। इस Buy Today Sell Tomorrow Trading में आपको स्टॉक डिलीवरी पर नहीं मिलते। आपको में बताता हूँ कि Delivey Trading और Buy Today Sell Tomorrow Trading में क्या डिफरेंस है,
STBT (Sell Today Buy Tomorrow) Trading
STBT (Sell Today Buy Tomorrow) Trading बिल्कुल उलती है, इसकी इसमें आप आज Sell करे कल Buy करोगे। पर यह ट्रेडिंग अल्लोव नहीं होती Equity Trading पर। इस में ट्रेडर पहले Short Sell करता है, उसके बात अगले दिन चाहिए उससे प्रॉफिट हो यह लोस्स ट्रेडर को अपनी पोजीशन Square Off करनी ही है।
Margin Trading ट्रेडर्स के लिए बहुत ही बड़ियाऔर यह एक क्विक मनी Trading है, Futures & Options के लिए Margin Trading बहुत उसेफुल है, इस में आपको एक मिनिमम लोट साइज Buy करना परता है,
सो दोस्तों यह थे कुछ Types of Intraday Trading जो भी आपको इंटरेस्टिंग लगयी उसके बारे में आप और जानकारी लेके रिसर्च करे। इन् में से बहुत से क्विक मनी मेकिंग ट्रेडिंग भी है आपको जोणसि इंटरेस्टिंग लगयी आप उसमे सिख सकते हो।
इनसाइडर ट्रेडिंग को लेकर सेबी सख्त
2020 में सेबी एक नया रेगुलेशन लेकर आई थी, जिसनें UPSI सूचना को स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस के तौर पर रखने की बात कही गई थी. अब स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस (SDD) की जांच के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को फिजिकल इंस्पेक्शन का निर्देश दिया गया है. अब सेबी की तरफ से BSE-NSE दोनों ही एक्सचेंजों को लगभग टॉप 200 कंपनियों के स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस की जांच करने का आदेश दिया गया है और ये काम इस साल के दिसंबर महीने तक पूरा करना है.
🔸SEBI ने पहली बार कंपनियों का फिजिकल इंस्पेक्शन शुरू किया
🔸स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस की जांच के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को फिजिकल इंस्पेक्शन का निर्देश
मार्च तक 400 कपनियों की करनी है जांच
इसके अलावा टॉप 400 कंपनियों की जांच का टारगेट अगले साल मार्च महीने तक के लिए दिया गया है. बता दें कि देश के एक बड़े होटल की जांच पहले ही हो चुकी है. बता दें कि इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाने के लिए सेबी की ओर से ये कदम उठाया गया है.
मार्केट रेगुलेटर सेबी ये जानना चाहता है कि कंपनियों की ओर से SDD कलेक्शन सही से हुआ है या नहीं. इसके लिए सेबी पहली बार कंपनियों का फिजिकल इंस्पेक्शन कर रहा है ताकि इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे फ्रॉड पर रोक लगाई जा सके.ट्रेडिंग के टाइप
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SDD (स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस) क्यों जरूरी?
सेबी की ओर से ये प्रक्रिया शुरू हो चुकी है क्योंकि दिसंबर तक टॉप 200 कंपनियों का फिजिकल इंस्पेक्शन करना है. बीएसई-एनएसई के अधिकारी ये काम कर रहे हैं. बता दें कि UPSI की सूचना जिसके साथ भी शेयर की जा रही है, उसका एक डाटा रखना होता है. 2020 के रेगुलेशन को कंपनियां कितनी गंभीरता के साथ ले रही हैं, इस पर कंपनियों से बात करके ही जानकारी मिल सकती है.
UPSI मतलब अनपब्लिश्ड प्राइस सेंसेटिव इन्फॉर्मेशन. ऐसी ट्रेडिंग के टाइप सूचना, जो अभी तक पब्लिक डोमेन में नहीं आई है और ये कुछ ही लोगों को पता है. इतना ही नहीं ये सूचना प्राइस सेंसेटिव है, यानी कि इससे शेयर की कीमत पर असर पड़ सकता है.
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