What is Face Value of Share in Hindi – फेस वैल्यू क्या होता है : शेयर बाज़ार में निवेश करते समय अक्सर आपने फेस वैल्यू (Face Value) का नाम जरूर सुना होगा। तो चलिए दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानते हैं कि आखिर शेयर बाज़ार में फेस वैल्यू क्या होता है (What is Face Value in Hindi) और किसी भी कंपनी के लिए फेस वैल्यू क्यों महत्त्वपूर्ण है जानते हैं इसके बारे में सब कुछ विस्तार से हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

How to check Face Value of a Company in Hindi

वित्तीय अनुपात का पहला सेक्शन जिसका हर निवेशक को पता होना चाहिए

किसी फर्म के स्टॉक में निवेश करने से पहले उसके वास्तविक मूल्य का निर्धारण करने के लिए उसकी वित्तीय मैट्रिक्स की सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए। शेयर खरीदने से पहले हमारे द्वारा प्रदान किए गए ग्यारह वित्तीय अनुपातों पर विचार करें। किसी कंपनी के स्टॉक में निवेश करने से पहले उसकी सही कीमत निर्धारित करने के लिए वित्तीय जानकारी की सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए। कंपनी की बैलेंस शीट, कैश फ्लो स्टेटमेंट और प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट की जांच करना आमतौर पर यह कैसे किया जाता है। यह कठिन और समय लेने वाला हो सकता है। वित्तीय अनुपात, जिनमें से अधिकांश को मुफ्त में ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकता है, कंपनी के प्रदर्शन को समझना आसान बनाता है।

कंपनी के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए यह एक त्वरित और प्रभावी तकनीक है, लेकिन यह एक सही तरीका नहीं है।

What Is Return On Equity ( ROE ) ?

ROE को कभी-कभी नेट वर्थ पर रिटर्न भी कहा जाता है। तो आइए देखें कि इसकी गणना कैसे की जाती है और कंपनी के प्रदर्शन को मापना क्यों महत्वपूर्ण है। ROE एक कंपनी की ताकत है और वॉरेन बफेट ने इक्विटी पर रिटर्न को कंपनी और प्रबंधन की दक्षता को मापने के लिए उपलब्ध सबसे आवश्यक उपकरणों में से एक कहा है। साथ ही हम इक्विटी पर रिटर्न के नुकसान को देखने जा रहे हैं। तो इक्विटी पर रिटर्न यह है कि शेयरधारक इक्विटी की तुलना में कंपनी कितना लाभ कमाती है। इसका सूत्र केवल शेयरधारक इक्विटी द्वारा विभाजित शुद्ध आय है। एक कंपनी का विश्लेषण करने के लिए एक उपकरण के रूप में इक्विटी पर वापसी इतनी शानदार है कि यह स्टॉक की कीमत के लिए जिम्मेदार है।

ROE

यह केवल कंपनी के प्रदर्शन को मापता है, स्टॉक के प्रदर्शन को नहीं। शुद्ध आय वह लाभ है जो एक कंपनी उत्पन्न करती है। यह सभी खर्चों के बाद आता है, लेकिन इससे पहले कि आम शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान किया शेयरधारकों की इक्विटी का बुक वैल्यू जाता है। शेयरधारक इक्विटी की गणना किसी कंपनी की देनदारियों को उस कंपनी की संपत्ति से घटाकर की जाती है। यह महत्वपूर्ण है और हम एक क्षण में इस पर वापस आने वाले हैं। तो इक्विटी पर रिटर्न क्यों महत्वपूर्ण है? इक्विटी पर रिटर्न हमें बताता है कि व्यवसाय कैसे बढ़ रहा है। यदि उद्योग वर्ष पहले से कोई अतिरिक्त ऋण या संपत्ति नहीं जोड़ता है और मुनाफा बढ़ता है, तो इक्विटी पर रिटर्न भी बढ़ेगा। इसका मतलब यह होगा कि कंपनी उन्हीं संपत्तियों का पहले की तुलना में अधिक कुशलता से उपयोग कर रही है और यह हमारे निवेश के लिए अच्छी बात है। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम कंपनियों के प्रतिफल की तुलना उनके प्रतिस्पर्धियों से कर रहे हैं।

फेस वैल्यू क्यों महत्त्वपूर्ण है – Why Face Value is important

फेस वैल्यू (Face Value) का प्रथम कार्य शेयरधारकों को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूट करना होता है। क्योंकि कंपनियाँ अपने शेयरधारकों को डिविडेंड फेस वैल्यू (Face Value) पर घोषित करता है। उदाहरण के लिए एस. के कंपनी ने 200% डिविडेंड घोषित किया है। तो शेयरधारकों को लाभांश यानी डिविडेंड उस शेयर के फेस (Face Value) वैल्यू पर ही देता है।

जैसे कि कंपनी का डिविडेंड 200% है और फेस वैल्यू 20 रुपए है, तो

डिविडेंड= 20×200%= 40 रुपया

इसके अनुसार एस के कंपनी अपने एक शेयर पर शेयरधारकों को 40 रुपए डिविडेंड वितरित करना होगा। हालांकि कई नये निवेशक यह सोचते हैं कि उन्हें डिविडेंड मार्केट प्राइस पर मिलेगा। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। क्योंकि कंपनियाँ डिविडेंड फेस वैल्यू पर वितरित करती है।

इन सभी के अलावा फेस वैल्यू का उपयोग शेयर प्रीमियम ज्ञात करने के लिए किया जाता है। जैसे कि किसी कंपनी का Face Value 20 रुपये है और शेयर को 400 रुपये में इशु किया गया है। तो उस शेयर का प्रीमियम वैल्यू (Premium Value) 380 रुपये होगा।

फेस वैल्यू से जुड़ी कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ – Some Important Information Related to Face Value

  • पर वैल्यू (Per Value) और फेस वैल्यू दोनों एक ही होते हैं। हिन्दी में इसे अंकित मूल्य के नाम से भी जाना जाता है।
  • अगर कोई कंपनी अपने शेयर को फेस वैल्यू से ज्यादा कीमत पर बेच रही है, तो उसे प्रीमियम वैल्यू कहा जाता है।
  • अधिकांश कंपनियाँ अपने शेयर को फेस वैल्यू से ज्यादा कीमत पर शेयरधारकों को बेचती है। किसी भी शेयर का फेस वैल्यू 1 रुपए से लेकर 100 रुपए के बीच हो सकता है।
  • ऐसे में कोई कंपनी अगर अपने शेयर को फेस वैल्यू से भी कम कीमत में बेच रहा है। तो इस प्रकार के शेयर को AT DISCOUNT शेयर कहाँ जाएगा।

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अंतिम शब्द

दोस्तों हमने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना कि फेस वैल्यू क्या होता है (What is Face Value of Share in Hindi) और यह क्यों महत्त्वपूर्ण है हम उम्मीद करते हैं कि आपको आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। यदि आपके मन में कोई प्रश्न है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएँ।

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शेयर मार्केट का गणित कैसे काम करता है?

शेयर मार्केट एक ऐसी दुनिया है जिसमें अधिकतम ट्रेडर और निवेशक शेयर मार्केट का गणित समझे बिना ही मार्केट में निवेश या ट्रेड करना शुरू कर देते है। यह आमतौर पर वह ट्रेडर होते है जिन्होने अभी – अभी स्टॉक मार्केट की दुनिया में कदम रखा है।

ज्यादातर नए लोग शेयर बाजार में करोड़पति बनने का विचार लेकर आते हैं। और अपना सारा पैसा शेयर बाजार में यही सोचकर लगाते हैं कि बहुत जल्दी ही अमीर बनने बाले है। इसी के चलते वह बिना किसी रिसर्च के गलत शेयर ले लेते है और ये उम्मीद करते है कि अव तो ये ऊपर ही जायेगा लेकिन जिस कंपनी में वह निवेश करते है वह लगातार गिरता रहता है और शेयरधारकों की इक्विटी का बुक वैल्यू अपने पैसे को गंवा देते है।

अगर आप चाहते है कि आप ये सब गलतीयां न हो, जो ज्यादातर लोग करते है तो आपको शेयर मार्केट का गणित और शेयर मार्केट कैसे काम करता है ये समझना होगा। इसलिए इस लेख में हम समझेंगे कि शेयर मार्केट का गणित क्या है और कैसे काम करता है।

शेयर मार्केट का गणित क्या है?

शेयर मार्केट का गणित का मतलव है कि एक निवेशक या ट्रेडर के रूप में समझना कि शेयर मार्केट कैसे काम करता है और यह समझना कि किसी भी स्टॉक का फंडामेंटल रिसर्च करने में किन – किन गणितीय फॉर्मूलो को इस्तेमाल किया जाता है?

स्टॉक मार्केट को कोई भी Predict नहीं करता है कि अगले पल स्टॉक मार्केट में क्या होने वाला है, क्योंकि स्टॉक मार्केट संभावना पर चलता है इसलिए स्टॉक मार्केट का 100% कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता है।

Probability गणित का टॉपिक है जिसे आपने अपने 10वी कक्षा में पढ़ा होगा, इसलिए इस को समझना आसान है। एक Quote है “No One can Predict the Stock Market” इसलिए किसी भी स्टॉक की रिसर्च कर आप उसके फंडामेंटल और भविष्यों के लक्ष्यों के आधार शेयरधारकों की इक्विटी का बुक वैल्यू पर सिर्फ अनुमान लगा सकते है कि वह स्टॉक कहा तक जा सकता है।

#2 Financial Ratios – फाइनेंसियल रेश्यो

फाइनेंसियल रेश्यो किसी कंपनी की परफॉरमेंस को समझने में मदद करते है और साथ ही उसे सेक्टर की अन्य कंपनियों से तुलना करने में भी मदद करते है कि निवेश के उद्देश्य से रेश्यो के आधार पर नौक – सी कंपनी निवेश के लिए बेहतर है।

स्टॉक मार्केट में बहुत से फाइनेंसियल रेश्यो है लेकिन हम सिर्फ उन्ही शेयरधारकों की इक्विटी का बुक वैल्यू फाइनेंसियल रेश्यो को समझेंगे जो किसी स्टॉक का फंडामेंटल रिसर्च करने में मदद करते है।

Return On Assets (ROA) – रिटर्न ऑन एसेट

रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) एक प्रोफिटेबिलिटी मेट्रिक है जो कंपनी कि उस एफिशिएंसी को मापता है जिस पर एक कंपनी अपनी संपत्ति का उपयोग ज्यादा से ज्यादा नेट प्रॉफिट करने के लिए करती है।

एक कंपनी का रिटर्न ऑन एसेट निकालने के लिए कंपनी के नेट प्रॉफिट को उसकी औसत कुल संपत्ति यानि एसेट से विभाजित (Devide) किया जाता है, जिसे आप नीचे फार्मूला में देख सकते है:

आखिर क्या है Face Value ?

दोस्तों फेस वैल्यू वह मूल्य होता हैं जो कंपनी के द्वारा शेयर जारी करते समय निर्धारित किया जाता हैं। और इसे Par Value के नाम से भी जाना जाता हैं। फेस वैल्यू को हिंदी में अंकित मूल्य भी कहा जाता

और जब भी कोई भी किसी भी प्रकार की कंपनी IPO के माध्यम से पहली बार अपने शेयर शेयरधारकों की इक्विटी का बुक वैल्यू जारी करती हैं तो कंपनी सबसे पहले Face value निर्धारित करती हैं। ये सब से पेहला काम होता है किसी भी कंपनी का ये फेस वैल्यू एक शेयर की नाममात्र की वैल्यू होती हैं।

और दोस्तों जयादा तर कंपनी अपने shares का दाम फेस वैल्यू से ऊपर ही रखती है क्युकी फेस वैल्यू कभी ऊपर निचे नहीं होती यह हमेशा स्थिर रहती है और फेस वैल्यू का मार्किट से की भी सीधा सम्बन्ध नहीं होता है।

फेस वैल्यू तय करने का कोई पैमाना नहीं हैं। कंपनी अपनी इच्छानुसार इसे तय करती हैं। जबकि मार्केट प्रीमियम पूर्णतया कंपनी की ग्रोथ, प्रॉफिट और भविष्य पर निर्भर करता हैं।

बुक वैल्यू क्या है?

दोस्तों जब किसी कंपनी की बुक वैल्यू (Book Value), कंपनी की कुल चल अचल परिसंपत्तियों यानि की (एसेट) और उसकी कुल देनदारियों के बीच का शुद्ध अंतर है। बुक वैल्यू कंपनी की परिसंपत्तियों की कुल वैल्यू को प्रदर्शित करती है।

जो की कंपनी के द्वारा सारी संपत्ति बेचे जाने के बाद अपने सारे शेयर्स कंपनी के शेयर धारको को मिल जाती है।

और किसी भी एसेट की बुक वैल्यू, बैलेंस शीट पर इसे बनाए रखने के बराबर होती है। और बुक वैल्यू अक्सर किसी कंपनी या किसी एसेट की मार्केट वैल्यू से कम ही होती है।

बुक वैल्यू का उपयोग

किसी कंपनी की अकाउंटिंग वैल्यू के रूप में, बुक वैल्यू के दो प्रमुख उपयोग हैं:

1. यह कंपनी के एसेट्स की कुल वैल्यू के रूप में काम करती है, जो शेयरधारक के सिद्धांत रूप में प्राप्त होगा और जब कंपनी की परिसंपत्तियां बिक जाएंगी।

बुक वैल्यू और फेस वैल्यू में क्या अंतर है स्पष्ट कीजिये ?

दोस्तों एक निवेशक को यह समझना जरूरी है कि बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू के बीच क्या अंतर होता है ताकि वे तय किया जा सकें कि किसी भी विशेष स्टॉक में निवेश करते समय किस मूल्य पर विचार किया जाए आइए बुक वैल्यू बनाम मार्केट वैल्यू पर एक नज़र डालते है।

1. दोस्तों क्या आप जानते है की बुक वैल्यू कंपनी की संपत्ति के वास्तविक मूल्य को दिखाता है और मार्केट वैल्यू कंपनी या उसकी संपत्ति के अनुमानित मूल्य के निवेशक को सूचित करता है।

2. और बुक वैल्यू कंपनी की Equity के मूल्य को दर्शाता है परन्तु मार्केट वैल्यू ज्यादातर मूल्य को दिखाता है जिस पर कंपनी के शेयर का वित्तीय बाजार में कारोबार किया जा सकता है।

3. संपत्तियों का बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू भी उतार-चढ़ाव की आवृत्ति के बारे में विभिन्न विभिन्न प्रकार का होता है।

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