News18 हिंदी 29-11-2022 News18 Hindi

$1.5m के लिए ऑस्ट्रेलिया का सबसे लोकप्रिय निवेशक वीज़ा

We assist our client’s secure shares in an existing, compliant business for A$500k while additionally placing A$1m into a low-risk investment where the initial capital is returned after 4-years and interest is paid quarterly is an excellent way to secure your pathway to Permanent Residency.

Our team assists our clients in securing everything they require for their 188 and subsequent 888 Permanent Residency visa. Sourcing compliant businesses, arranging compliant investments and securing pathways to permanent residency across Australia.

20 से अधिक वर्षों से, हम अपने ग्राहकों की आवश्यकताओं से मेल खाने के लिए अपने उत्प्रवास समाधानों को तैयार करके मामले जीत रहे हैं।

निवेश की आवश्यकता

हमारा $1. 5m विकल्प निवेशकों को एक आज्ञाकारी व्यवसाय में शेयरों को सुरक्षित करने में सक्षम बनाता है, साथ ही प्रति वर्ष निश्चित रिटर्न के लिए सुरक्षित रूप से $1m का निवेश करता है। यह आप हैं $2.5m या $5m की तरह निवेश योजनाओं द्वारा सीआईएफ उत्प्रवास जहां निवेशित धन जोखिम में हैं।

$500k के लिए अंक परीक्षण पास करने की आवश्यकता से बचने के लिए, आप ऑस्ट्रेलियाई वेंचर कैपिटल फंड से बाहरी वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद उद्योग विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा सत्यापित कंपनी में शेयरधारक बन सकते हैं।

शेष $1m आवश्यक एक निश्चित ब्याज सुरक्षित निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प कोष में जमा किया जा सकता है।

Our solution limits exposure to investment risks while providing the ability to forecast the total cost of emigration, making this an attractive, cost-effective option for those who wish to emigrate to Australia.

राजस्थान में बिजली की लागत दूसरे राज्यों से अधिक

बिजली की लागत ( electricity cost ) उद्योगों की समग्र लागत का एक प्रमुख निवेश ( major investment ) है। बिजली की लागत उद्योगों की संपूर्ण लागत में एक प्रमुख इनपुट है। बिजली डिस्कॉम ( Power discom ) की वित्तीय स्थिति के कारण अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में बिजली की लागत अधिक है, जो कि राज्य के कनज्यूमर मिक्स से जुड़ा हुआ है।

राजस्थान में बिजली की लागत दूसरे राज्यों से अधिक

जयपुर। सरकार ईओडीबी की सुविधा (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) उपलब्ध कराने और उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करने को लेकर प्रतिबद्ध है। हम ओपन एक्सेस को किफायती बनाने पर विचार करेंगे। राज्य सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित किया है, जिसमें 14 विभाग के अधिकारी उद्योगों से संबंधित 100 विभिन्न क्षेत्रों में अनुमति प्रदान कर रहे हैं। विभिन्न कार्यालयों के चक्कर लगाने के बजाय एमएसएमई राज पोर्टल के माध्यम से आसानी से स्वीकृति प्राप्त कर सकते हैं। 2019-20 के दौरान, रीको को ई-ऑक्शन के माध्यम से औद्योगिक भूखंडों की नीलामी से 1400 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त हुआ है। राजस्थान सरकार के उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने यह जानकारी दी।
राजस्थान उर्जा विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रोहित गुप्ता ने कहा कि बिजली की लागत उद्योगों की समग्र लागत का एक प्रमुख निवेश है। बिजली की लागत उद्योगों की संपूर्ण लागत में एक प्रमुख इनपुट है। बिजली डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति के कारण अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में बिजली की लागत अधिक है, जो कि राज्य के कनज्यूमर मिक्स से जुड़ा हुआ है। विभाग संपूर्ण खरीद लागत को कम करने के लिए छूट का उपयोग, जनरेटर को समय पर भुगतान करना, थर्मल प्लांटों की परिचालन दक्षता आदि जैसे क्षेत्रों पर गौर करने की योजना बना रहा है।
बिजनेस डवलपमेंट एंड एसवीपीए इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के हेड रोहित बजाज का कहना है कि राजस्थान में ओपन एक्सेस के लिए अत्यधिक क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज, 24-घंटे शिड्यूलिंग प्रतिबंध, न्यूनतम 8 घंटे की यूनिफॉर्म शिड्यूलिंग, ओपन एक्सेस का लाभ उठाने के लिए न्यूनतम 1 मेगावाट अनुबंध की मांग जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। उद्योग 7 से अधिक वर्षों के लिए दीर्घकालिक, मध्यम अवधि 1 वर्ष से 5 वर्ष तक, 1 वर्ष तक के लिए अल्पावधि जैसे बिजली खरीद के विकल्पों का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, सबसे पसंदीदा विकल्प पावर एक्सचेंज है, जो अत्यधिक लिक्विड और पारदर्शी बाजार है।
पार्टनर डेलॉयट अनुजेश द्विवेदी ने कहा कि ओपन एक्सेस सस्ती बिजली खरीदने का एक विकल्प है। यह उपभोक्ताओं को बिजली जनरेटर, ट्रेडर्स अथवा एक्सचेंज से सीधे बिजली खरीदने की सुविधा देता है। राजस्थान में, ओपन एक्सेस से उत्पन्न होने वाले रोजगार के अतिरिक्त अवसरों और जीडीपी में वृद्धि से राज्य के रेवेन्यू पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। राज्य विभाग, राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आरईआरसी), पावर डिस्कॉम के बीच इस बात पर विचार-विमर्श शुरू कराने की आवश्यकता है कि ओपन एक्सेस को प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जा सकता है। इसके अलावा, राजस्थान औद्योगिक विकास नीति 2019 के तहत ओपन एक्सेस से संबंधित प्रावधानों को लागू करने के लिए एक रोड मैप स्थापित करने की भी आवश्यकता है।
फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल के चेयरमैन अशोक कजारिया ने कहा कि कोविड के बाद औद्योगिक गतिविधि फिर से शुरू होने के साथ ही मंदी से लडऩे और राज्य में नए निवेश आकर्षित करने की आवश्यकता है। इसके लिए, ऑपरेटिंग लागत में कमी, विशेष रूप से बिजली की लागत को कम करने से उद्योगों के विकास में मदद मिल सकती है। राजस्थान अन्य राज्यों द्वारा अपनाई जा रही सर्वोत्तम नीतियों को देख सकता है।

PPF : पीपीएफ पर 10 साल में 8 बार घटी ब्‍याज दर, क्‍या अब भी है आकर्षक विकल्‍प

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News18 हिंदी 29-11-2022 News18 Hindi

© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "PPF : पीपीएफ पर 10 साल में 8 बार घटी ब्‍याज दर, क्‍या अब भी है आकर्षक विकल्‍प"

नई दिल्‍ली. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) लॉग टर्म में निवेश करने वालों के लिए हमेशा से पसंदीदा विकल्‍प बना हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण है जोखिम रहित और स्‍थायी रिटर्न व टैक्‍स छूट. पिछले एक दशक के आंकड़े देखें तो पीपीएफ में कई तरह के बदलाव किए गए हैं. मोदी सरकार ने साल 2014 में सत्‍ता में आते ही पीपीएफ में निवेश की सीमा को बढ़ा दिया था, जिससे ज्‍यादा टैक्‍स छूट मिलने लगी. वहीं एक दशक में इसकी ब्‍याज दरों में बड़ी कटौती की जा चुकी है.

साल 2013 के बाद से ही पीपीएफ पर ब्‍याज दरें लगातार घटती जा रही हैं. साल 2014 में सरकार ने पीपीएफ में निवेश की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये सालाना कर दी थी. हालांकि, तब से अब तक ब्‍याज दर 8.8 फीसदी से गिरकर 7.1 फीसदी पर आ गई है. यानी महज एक दशक के भीतर इस योजना पर ब्‍याज दरों में 1.7 फीसदी घट गई है. आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो साल 2013 में पीपीएफ पर ब्‍याज 8.8 फीसदी था, जो अब घटकर 7.1 फीसदी रह गया है.

साल दर साल घट रहा ब्‍याज

पीपीएफ पर ब्‍याज की बात करें तो 1 अप्रैल, 2013 से लेकर 31 मार्च, 2014 तक इस कुल ब्‍याज 8.7 फीसदी था और निवेश की सीमा 1 लाख रुपये थी. इसके बाद 1 अप्रैल, 2014 से 31 मार्च, 2016 तक इसमें निवेश की सीमा बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई, जबकि ब्‍याज द र 8.7 फीसदी ही रही. अप्रैल, 2016 से सितंबर 2016 के बीच पीपीएफ की ब्‍याज दर रिवाइज हुई और यह 8.1 फीसदी पर आ गई.

आगे भी घटता रहा ब्‍याज

इसके बाद अक्‍टूबर 2016 से मार्च 2017 के बीच पीपीएफ की ब्‍याज दर फिर से घटी और यह 8 फीसदी पर आ गई. यह सिलसिला रुका नहीं और जून 2017 तक इसकी दर गिरकर 7.9 फीसदी पहुंच गई. सितंबर आते-आते पीपीएफ की ब्‍याज दर घटकर 7.8 फीसदी हो चुकी थी. फिर जनवरी से सितंबर 2018 के बीच इसमें 0.20 फीसदी की और गिरावट हुई. ब्‍याज घटकर 7.6 फीसदी पर आ गया.

कोरोनाकाल में बड़ी कटौती

अक्‍टूबर 2018 से जून 2019 के बीच इसकी ब्‍याज दर बढ़ी और 8 फीसदी पर पहुंच गई, लेकिन जुलाई 2019 से मार्च 2020 तक इसमें फिर निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प गिरावट आई और प्रभावी ब्‍याज दर 7.9 फीसदी पर आ गई. फिर आया कोरोनाकाल का समय और सरकार ने अप्रैल 2020 में इसकी ब्‍याज दर घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया, जो अभी तक कायम है. इसमें निवेशक की अधिकतम सीमा 1.5 लाख ही बनी हुई है.

अन्‍य योजनाओं के मुकाबले कितना कारगर

पीपीएफ पर ब्‍याज दर भले ही कम हो लेकिन इस पर मिलने वाली टैक्‍स छूट इसे लोकप्रिय बनाती है. साथ ही सरकार की ओर से निश्चित रिटर्न की गारंटी भी निवेशकों को इसकी तरफ आकर्षित करती है. अगर अन्‍य रिटायरमेंट योजनाओं को देखें तो पीएफ पर ब्‍याज दर तो 8.1 फीसदी है, लेकिन इसमें निवेश सिर्फ नौकरीपेशा व्‍यक्ति ही कर सकता है, जबकि पीपीएफ का खाता कोई भी खुलवा सकता है. रिटायरमेंट फंड में निवेश पर रिटर्न तो अच्‍छा मिलता है. कुछ फंड सालाना 10 फीसदी तक का रिटर्न दे रहे हैं, लेकिन उसमें टैक्‍स छूट का लाभ नहीं मिलता. कुल मिलाकर पीपीएफ की ब्‍याज दर कम होने के बावजूद यह अच्‍छा विकल्‍प बना हुआ है, जबकि आगे इसकी दरों में बढ़ोतरी की पूरी गुंजाइश दिख रही है.

Top Mutual Funds and Insurance: निवेश के लिए बेहतरीन प्लान्स, बैंक एफडी से भी देंगे अधिक रिटर्न

Top Mutual Funds and Insurance: निवेश के लिए बेहतरीन प्लान्स, बैंक एफडी से भी देंगे अधिक रिटर्न

बैंकों की एफडी (FD) लंबे समय से निवेश के लिए आकर्षक विकल्प रही है | लेकिन, पिछले कुछ समय से कम दरों के चलते, इसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे कम हो रही है. ऐसे में निवेशक अपने लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर एसआईपी (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.

साल 2022 में म्युचुअल फंड निवेश के लिए सबसे बड़ा विकल्प बनकर उभरा है. वहीं, अगर आप इस समय निवेश शुरू करते हैं, तो आप म्युचुअल फंड के जरिये अपने लिए अच्छी राशि इकट्ठा कर सकते है. तो आइये जानते हैं, सबसे बेस्ट म्यूचुअल फंड के बारे में, जिनमें आप निवेश करके भविष्य में अधिक लाभ कमा सकते हैं.

1. ICICI Prudential Technology Fund

(ICICI Prudential Technology Fund) ने पिछले तीन साल में 37.01 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. इसमें आप न्यूनतम 5000 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं.

2. TATA Digital India Fund

टाटा डिजिटल इंडिया फंड (TATA Digital India Fund) ने पिछले तीन साल में 39.4 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दिया है. इस फंड की कुल संपत्ति, 3842 करोड़ रुपये है और एनएवी 38.2 रुपये है. इस फंड में आप न्यूनतम 500 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं.

3. Aditya Birla Sun Life Digital India Fund

आदित्य बिरला सन लाइफ डिजिटल इंडिया फंड (Aditya Birla Sun Life Digital India Fund) ने पिछले तीन साल में 40.5 प्रत‍िशत का रिटर्न दिया है और फंड की कुल संपत्ति, 2658 करोड़ रुपये है. आपको बता दें, कि इस म्यूचुअल फंड में आप, कम से कम 1000 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं.

4. SBI Technology Opportunities Fund

(SBI Technology Opportunities Fund) के पिछले तीन साल के रिटर्न की बात करें, तो इसने 36.6 प्रतिशत का बेहतरीन रिटर्न दिया है. इस फंड की कुल संपत्ति, 1891 करोड़ रुपये है. इस फंड में आप कम से कम 500 रुपये के जरिए निवेश शुरू कर सकते हैं.

5. Kotak Bluechip Fund

कोटक ब्लूचिप फंड (Kotak Bluechip Fund) के डायरेक्ट प्लान को सबसे शानदार बेस्ट फंड में से एक माना जाता है. इसका 3 साल का सालाना एवरेज रिटर्न 18.7 फीसदी रहा है. वहीं, बीते एक साल में भी यह करीब 26 फीसदी रिटर्न दे चुका है. इस फंड में आप कम से कम 1000 रुपये के जरिए निवेश शुरू कर सकते हैं.

LIC के सबसे बेहतरीन इंश्योरेंस प्लान

(LIC) अपने लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के जरिए, लोगों के भविष्य और उनके परिवार को संवारने में मदद कर रहा है. आइए जानते हैं, LIC के कुछ बेहतरीन इंश्योरेंस प्लान के बारे में:

1. LIC Jeevan Anand

LIC की ‘जीवन आनंद प्लान’ के तहत पॉलिसीधारक को लाइफ टाइम इंश्योरेंस कवर दिया जाता है. वहीं, पॉलिसीधारक की मौत के बाद, उसके परिजनों को डेथ बेनिफिट भी मिलता है. आपको बता दें, कि LIC की इसी पॉलिसी को 'जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी' नाम से जाना जाता है. इस प्लान के तहत, अगर आपने 21 साल की उम्र में 20 साल के लिए इस प्लान को लिया है, तो 41 साल की उम्र में निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प इसकी मैच्योरिटी होने के बाद, आपको पॉलिसी की मैच्योरिटी मिल जाती है. वहीं, आपका लाइफटाइम इंश्योरेंस चलता रहता है और पॉलिसीधारक की मौत के बाद, परिजनों का इस पॉलिसी की सम एश्योर्ड के तहत, डेथ बेनिफिट अमाउंट दिया जाता है.

2. LIC Jeevan Umang

LIC का यह प्लान उन लोगों की पहली पसंद होता है, जो पूरी जिंदगी इंश्योरेंस के साथ गारंटीड रिटर्न की इच्छा रखते हैं. इसके अलावा, अपना रिटायरमेंट प्लान कर रहे लोग भी इसे अपनी पहली पसंद में रखते हैं. LIC निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प की जीवन उमंग प्लान के तहत, प्रीमियम टर्म पूरा होने पर पॉलिसीधारक को लाइफटाइम गारंटीड अमाउंट मिलता है. यह गारंटीड अमाउंट सम एश्योर्ड का 7 से लेकर 8 प्रतिशत तक का हो सकता है. आपको बता दें, कि इस प्लान की मैच्योरिटी 100 साल निर्धारित की गई है. वहीं, पॉलिसीधारक के 100 साल जीवित रहने के बाद मैच्योरिटी का अमाउंट दे दिया जाता है.

3. LIC's Single Premium Endowment Plan

LIC का सिंगल प्रीमियम प्लान, एक साथ पैसा निवेश करने वालों के लिए सबसे बेहतरीन प्लान है. बता दें, कि इस प्लान के तहत, पॉलिसीधारक का पैसा फिक्स्ड टाइम के लिए जमा किया जाता है, पॉलिसी पूरा होने पर मैच्योरिटी की अमाउंट पॉलिसीधारक को दे दिया जाता है. इसमें, पॉलिसीधारक को अच्छी रिटर्न के साथ ही इंश्योरेंस कवर का लाभ भी मिलता है.

निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प

शिक्षक के लिए निर्देश

अध्याय 4– वैश्वीकरण औ र भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व के अधिकांश भाग तेज़ी से एक-दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं। यद्यपि देशों के बीच इस पारस्परिक जुड़ाव के अनेक आयाम हैं– सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक, लेकिन इस अध्याय में अत्यन्त सीमित अर्थ में वैश्वीकरण की चर्चा की गई है। इसमें वैश्वीकरण को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश के माध्यम से देशों के बीच एकीकरण के रूप में पारिभाषित किया गया है। आप देखेंगे कि इस अध्याय में पोर्टफोलियो निवेश जैसे जटिल मुद्दों को छोड़ दिया गया है।

यदि हम विगत तीस वर्षों पर नज़र डालें, तो पाते हैं कि विश्व के दूरस्थ भागों को जोड़ने वाली वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मुख्य भूमिका रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने उत्पादन का दूसरे देशों में क्यों प्रसार कर रही हैं और किस तरह से कर रही हैं? अध्याय के पहले खंड में इसी की चर्चा की गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तीव्र वृद्धि और उनके प्रभाव को मात्रात्मक आकलनों के बजाय मुख़्यतः भारतीय संदर्भ से लिए गए उदाहरणों के द्वारा दिखाया गया है। ध्यान रखें कि उदाहरण सामान्य पक्ष की व्याख्या करने में सहायक हैं। पढ़ाते समय धारणाओं पर विशेष बल दिया जाना चाहिए और उदाहरणों का प्रयोग व्याख्या के लिए किया जाना चाहिए। आप जाँच करने तथा नवीन अवधारणाओं को सुदृढ़ करने के लिए बोधगम्य अनुच्छेदों, जैसा कि खंड- II के अंत में दिया गया है, का रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं।

वैश्वीकरण की प्रक्रिया एवं इसके प्रभावों को समझने में उत्पादन का एकीकरण और बाज़ार का एकीकरण एक महत्त्वपूर्ण धारणा है। इस अध्याय में, वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए इसकी विस्तार से चर्चा की गई है। अगले विषय पर जाने से पहले, आपको सुनिश्चित करना है कि छात्र इन विचारों को पर्याप्त स्पष्टता से आत्मसात कर लें।

वैश्वीकरण को अनेक कारकों ने सुगमता प्रदान की है। इनमें से तीन कारकों पर बल दिया गया है – प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति, व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण और डब्ल्यू. टी. ओ. जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का दबाव। प्रौद्योगिकी में उन्नति छात्रों के लिए एक आकर्षक क्षेत्र है और आप उनको कुछ निर्देश देकर उन्हें स्वतः छानबीन करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। उदारीकरण की चर्चा करते समय आपको ध्यान रखना है कि छात्र भारत की उदारीकरण-पूर्व की अर्थव्यवस्था से अपरिचित हैं। उदारीकरण से पूर्व एवं पश्चात् की स्थितियों में तुलना एवं विषमता दिखाने के लिए नाटक का आयोजन किया जा सकता है। इसी प्रकार, डब्ल्यू.टी.ओ. के तहत होने वाली अंतर्राष्ट्रीय सधियाँ और शक्ति का असमान संतुलन रोचक विषय हैं, जिनको व्याख्यान की बजाए चर्चा के रूप में प्रतिपादित किया जा सकता है।

अंतिम खंड में वैश्वीकरण के प्रभावों को शामिल किया गया है। विकास-प्रक्रिया में वैश्वीकरण ने किस सीमा तक योगदान किया है? इस खंड में अध्याय 1 एवं 2 (जैसे, न्यायसंगत विकास लक्ष्य क्या है) के विषय भी ध्यान में रखे गए हैं, जिसका आप संदर्भ दे सकते हैं। इस खंड की चर्चा करते समय स्थानीय पर्यावरण से क्रियाकलापों और उदाहरणों को लेना भी अत्यन्त आवश्यक है। इससे उन संदर्भों को शामिल किया जा सकेगा जिन्हें इस अध्याय में नहीं रखा गया है, जैसे-स्थानीय किसानों पर आयातों का प्रभाव, इत्यादि। एेसी स्थितियों की विवेचना करने के लिए सामूहिक विचार-मंथन-सत्रों का आयोजन किया जा सकता है।

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