क्रिप्टो माइनिंग एक तरह से बहुमूल्य धातुओं की माइनिंग की तरह है।

भास्कर एक्सप्लेनर: रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया लाने की तैयारी में; जानिए यह आपकी जेब में रखे रुपए से कितना अलग होगा?

भारत में जल्द ही लेन-देन का तरीका बदलने वाला है। आपको रुपए का विकल्प मिल रहा है। होगा तो वह भी रुपया ही, जारी भी रिजर्व बैंक ही करेगा, पर वह प्रिंटेड नोट से बिल्कुल ही अलग होगा। रिजर्व बैंक ही नहीं बल्कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी बिटकॉइन, ईथर जैसी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के विकल्प के तौर पर डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं।

पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के वेबिनार में कहा कि भारत को भी डिजिटल करेंसी की जरूरत है। यह बिटकॉइन जैसी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी यानी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से होने वाले नुकसान से बचाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक इस पर काम कर रहा है।

जानते हैं कि यह डिजिटल रुपया करेंसी नोट से कितना अलग होगा? क्या इसमें भी बिटकॉइन की तरह निवेश किया जा सकेगा? बैंकों की क्या भूमिका रह जाएगी? हम जो डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं, उनसे यह डिजिटल रुपया किस तरह अलग होगा?

संसद टीवी संवाद

क्रिप्टोकरेंसी वर्तमान वित्तीय दुनिया में हो रहे बहुत सारे तकनीकी परिवर्तनों में से एक का उदाहरण है और अब नई चुनौतियों को स्वीकार करने के साथ-साथ प्रतिभूति बाज़ार सहित मुद्रा बाज़ारों के लिये एक नए एकीकृत विनियमन की अनुमति देने का मौका है।

यह डिजिटल बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी तकनीक में एक नई क्रांति पैदा कर सकती है जिसे भारत खोना नहीं चाहेगा, लेकिन साथ ही वह आंतरिक सुरक्षा और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर भी जोखिम नहीं उठा सकता है।

Cryptocurrency in India: बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी पर बैन लेकिन टेक्नोलॉजी जारी रखने की होगी इजाजत, क्या है डिजिटल माइनिंग?

क्रिप्टो माइनिंग एक तरह से बहुमूल्य धातुओं की माइनिंग की तरह है।

क्रिप्टो माइनिंग एक तरह से बहुमूल्य धातुओं की माइनिंग की तरह है।

  • देश में बिटकॉइन जैसी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज पर लगेगा बैन
  • शीतकालीन सत्र में इस पर बिल लाने की तैयारी में है सरकार
  • प्राइवेट डिजिटल करेंसी पर होगा बैन लेकिन जारी रहेगी टेक्नोलॉजी
  1. क्या है क्रिप्टो माइनिंग
    क्रिप्टो माइनिंग या बिटकॉइन माइनिंग का मतलब पजल्स को सॉल्व करके नई बिटकॉइन बनाना है। साथ ही क्रिप्टो माइनर्स को ब्लॉकचेन नेटवर्क पर क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन को वेलिडेट करना और इन्हें डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर में शामिल करना शामिल है। सबसे अहम बात यह है कि क्रिप्टो माइनिंग किसी डिस्ट्रिब्यूटेड नेटवर्क पर डिजिटल करेंसी की डबल स्पेंडिंग से बचाना है। फिजिकल करेंसीज की तरह जब कोई मेंबर क्रिप्टोकरेंसी खर्च करता है तो डिजिटल लेजर को अपडेट करना होता है। यानी देने वाले के अकाउंट से पैसा कट जाता है और लेने वाले के खाते में आ जाता है।
  2. सबसे बड़ी चुनौती
    डिजिटल करेंसी की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को आसानी से मैनिपुलेट किया जा सकता है। यही वजह है कि बिटकॉइन बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी के डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर में केवल मान्यता प्राप्त माइनर्स को ही डिजिटल लेजर में ट्रांजैक्शंस अपडेट करने की अनुमति है। इस तरह यह सुनिश्चित करना माइनर्स का काम है कि नेटवर्क पर डबल स्पेंडिंग न हो।
  3. PoW क्या है
    नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिए माइनर्स को इनाम के तौर पर नए कॉइन दिए जाते हैं। चूंकि डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर्स में कोई केंद्रीय अथॉरिटी नहीं है, इसलिए ट्रांजैक्शंस को वैलिडेट करने के लिए माइनिंग प्रोसेस बहुत अहम है। केवल मान्यता प्राप्त माइनर्स को ही डिजिटल लेजर में ट्रांजैक्शंस अपडेट करने की इजाजत है। इसके लिए प्रूफ-ऑफ-वर्क (PoW) consensus protocol बनाया गया है। PoW बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी नेटवर्क को बाहरी हमलों से भी बचाता है।
  4. क्यों चाहिए एडवांस मशीनें
    क्रिप्टो माइनिंग एक तरह से बहुमूल्य धातुओं की माइनिंग की तरह है। जिस तरह सोना, चांदी या हीरे को निकाला जाता है, उसी तरह क्रिप्टो माइनर्स सर्कुलेशन में नए कॉइन रिलीज करते हैं। इसके लिए ऐसी मशीनों को काम पर लगाया जाता है जो गणित के जटिल समीकरणों को सुलझाते हैं। समय के साथ-साथ माइनर्स ने PoW को सुलझाने के लिए ज्यादा एडवांस्ड मशीनों को लगाया है। माइनर्स के बीच प्रतिस्पर्द्धा बढ़ने से क्रिप्टोकरेंसी की कमी भी बढ़ी है।
  5. कौन कर सकता है माइनिंग
    क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए ऐसे कम्प्यूटर चाहिए जिनमें जटिल क्रिप्टोग्राफिक मैथमेटिक इक्वेशंस को सॉल्व करने के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर हो। बिटकॉइन के शुरुआती दिनों में इसे होम कम्प्यूटर से एक सिंपल सीपीयू चिप से माइन किया जा सकता था। लेकिन अब बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी ऐसा नहीं रह गया है। आज इसके लिए स्पेशलाइज्ड सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है। इसे चौबीसों घंटे भरोसेमंद इंटरनेट कनेक्शन के साथ जोड़े रखना पड़ता है। हर क्रिप्टो माइनर के लिए ऑनलाइन माइनिंग पूल का मेंबर होना जरूरी है।

Digital Currency: क्रिप्टो करेंसी से कितना अलग होगा डिजिटल रुपया? जानिए क्या होंगे इसके फायदे और नुकसान

क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी में अंतर

एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े एलान किए। डिजिटल इंडिया की तरफ एक और कदम बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल करेंसी को लॉन्च करेगा। वित्त मंत्री के मुताबिक आरबीआई की तरफ से डिजिटल रुपया को जारी किया जाएगा। वैसे तो डिजिटल करेंसी का कॉन्सेप्ट नया नहीं है। दुनिया में पहले से ही बिटकॉइन समेत अन्य डिजिटल या वर्चुअल करेंसी की खरीद-फरोख्त हो रही है। लेकिन वित्त मंत्री की घोषणा के बाद डिजिटल रुपया को लेकर चारों तरफ चर्चा हो रही है। हर कोई ये जानना चाहता है कि डिजिटल रुपया क्या है, कैसे काम करेगा, इसके फायदे और नुकसान क्या होंगे? दरअसल, डिजिटल रुपया भी बिटकॉइन या अन्य वर्चुअल करेंसी की तरह ही होगा। बस इसे आरबीआई की ओर से जारी किया जाएगा। आइए आसान शब्दों में समझते हैं डिजिटल रुपया की कुछ अच्छी और बुरी बातें.

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